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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

असमर्थ होनेका कौन-सा मामला अभियुक्तके हक में है। अतः एक निर्दोष व्यक्तिकी जान भी किसी ऐसे व्यक्तिके पक्षपातपूर्ण बयानके बलपर खतरेमें डाली जा सकेगी जिसके साथ कभी कोई जिरह नहीं की गई है।

खण्ड १७ के अन्तर्गत ऐसे मुकदमोंमें दिये गये निर्णयोंको अन्तिम माना गया है; जिनपर न पुनर्विचार किया जा सकता है और न अपील की जा सकती है, ऐसा कहा गया है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता या साक्ष्य अधिनियम द्वारा दिये गये संरक्षणोंके आंशिक स्थगनसे, और अपील या पुनर्विचारके अधिकारसे वंचित किये जानेपर हमें परेशान होनेकी कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि अदालतमें तीन न्यायाधीश होंगे, और ये वे ही लोग होंगे जो उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीशके पदपर काम कर चुके होंगे। जैसा कि हम गत अप्रैलकी घटनाओंपर विचार करते समय देखेंगे, अगर किसी अदालत में उच्च न्यायालयवाला वातावरण नहीं रहने दिया जाये तो इस बातका सन्तोष कि उस अदालतके न्यायाधीश उच्च न्यायालयके न्यायाधीश रह चुके हैं, एक भ्रम-मात्र है। साक्ष्यपर विचार करते समय या उसपर कानून लागू करते समय बड़ेसे-बड़े न्यायाधीशसे भी गलती हो सकती है, विशेष रूपसे उस समय जब उसे सही दिशा-संकेत देनेके लिए एक सुचिन्तित प्रक्रिया संहिता, या साक्ष्य सम्बन्धी नियमोंकी सहायता प्राप्त न हो।

यह तो रहा रौलट अधिनियमके भाग १ के सम्बन्धमें, जिसका स्वरूप दण्डात्मक है। भाग २ में निरोधात्मक उपायोंकी चर्चा है। और इसीलिए, जैसा कि विधेयकके प्रस्तावकने लगभग स्वीकार किया, उस भागपर आलोचनाकी ज्यादा गुंजाइश है। भाग १ में जहाँ योजनाबद्ध अपराधके वास्तविक कृत्योंको ध्यानमें रखा गया है, वहाँ भाग २ सपरिषद् गवर्नर-जनरलको अधिकार देता है कि यदि वह सन्तुष्ट हो कि ऐसे विप्लववादी आन्दोलनोंको बड़े पैमानेपर बढ़ावा दिया जा रहा है जिसके फलस्वरूप योजनाबद्ध अपराधकी घटनाएं होने की आशंका है, तो वह घोषणा कर सकता है कि अमुक क्षेत्रमें भाग २ की व्यवस्थाएँ लागू होंगी। इसलिए खण्ड २२ प्रान्तीय सरकारको यह अधिकार देता है कि यदि उसके पास किसी व्यक्तिके विरुद्ध ऐसा माननेका समुचित आधार हो कि वह व्यक्ति किसी विप्लववादी आन्दोलनसे सम्बन्धित है या सचमुच सम्बन्धित रहा है, तो वह उच्च न्यायालयके न्यायाधीशके रूप में नियुक्त होनेकी योग्यता रखनेवाले किसी न्याय-अधिकारीके सामने उस मामलेसे सम्बन्धित सारी सामग्री रखे, और उसपर उसकी सम्मति प्राप्त करे। इसके बाद यदि स्थानीय सरकार सन्तुष्ट हो कि भाग २ के अन्तर्गत कार्रवाई करनेकी जरूरत है तो वह उस व्यक्तिसे ज्यादासे-ज्यादा एक वर्षकी अवधिके लिए यह मुचलका मांग सकती है कि वह योजनाबद्ध अपराधोंमें से कोई अपराध नहीं करेगा और न करनेकी कोशिश करेगा, वह सरकारको सूचित किये बिना अपना आवास नहीं बदलेगा, वह एक क्षेत्र-विशेषके अन्दर ही रहेगा, वह ऐसे हर कामसे दूर रहेगा जिसका उद्देश्य सार्वजनिक शान्ति-भंग करना हो या जिससे सार्वजनिक सुरक्षामें बाधा पड़ती हो, और वह नियत अवधिके अन्तरसे निकटतम पुलिस-थाने में हाजिरी देता रहेगा।