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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
आन्दोलनमें हम लोगोंका कोई हाथ नहीं रहा है, किन्तु यदि हमारा अनुरोध व्यर्थ गया, यदि यह विधेयक पास हो गया, तो यहाँ हममें से प्रत्येक व्यक्तिका कर्त्तव्य होगा कि वह आन्दोलन में शामिल हो जाये।

इस मार्मिक और जोरदार विरोधके बावजूद विधेयकको प्रवर समितिको सौंपनेका प्रस्ताव पास कर दिया गया और इस आशयका संशोधन[१] कि इस विधान परिषद्को कार्यविधिके ६ माह बादतक के लिए विधेयकपर विचार स्थगित कर दिया जाये, ६ फरवरी, १९१९ को गिर गया। संशोधनके पक्षमें २२ और विरोधमें ३५ वोट आये। हम नीचे उन ३५ सदस्योंके नाम दे रहे हैं जिन्होंने संशोधनके विरोध में और इसीलिए प्रकारान्तरसे विधेयकके पक्ष में मत दिया; इसी प्रकार उन २२ सदस्योंके नाम भी दे रहे हैं जिन्होंने संशोधनके पक्ष में और प्रकारान्तरसे विधेयकके विरुद्ध मत दिया। उसमें देखेंगे कि ३५ सदस्यों में एकमात्र भारतीय नाम वाइसरायकी कार्यकारिणी परिषद् के भारतीय सदस्यका[२] है जो बिना अपने पद से इस्तीफा दिये अन्यथा मतदान कर ही नहीं सकते थे।

संशोधनके पक्ष में—२२ संशोधन के विपक्ष में—३५
माननीय सर गंगाधर चिटनवीस हिज एक्सेलेंसी प्रधान सेनापति महोदय
{{{1}}} बाबू एस॰ एन॰ बनर्जी माननीय सर क्लॉड हिल
{{{1}}} राजा महमूदाबाद {{{1}}} सर शंकरन् नायर
{{{1}}} डा॰ ते॰ ब॰ सप्रू {{{1}}} सर जॉर्ज लाउण्डेज़
{{{1}}} पंडित म॰ मो॰ मालवीय {{{1}}} सर विलियम विन्सेन्ट
{{{1}}} श्री एस॰ शास्त्री {{{1}}} सर जेम्स मेस्टन
{{{1}}} श्री बी॰ एन॰ शर्मा {{{1}}} सर आर्थर ऐंडर्सन
{{{1}}} मीर असदअली खान बहादुर {{{1}}} श्री डब्ल्यू॰ ए॰ आइरनसाइड
{{{1}}} श्री वी॰ जे॰ पटेल {{{1}}} सर वर्नी लॉवेट
{{{1}}} श्री मु॰ अ॰ जिन्ना {{{1}}} श्री एच॰ एफ॰ हॉवर्ड
{{{1}}} फजलभाई करीमभाई {{{1}}} सर जेम्स डुबाउले
{{{1}}} राय सीतानाथ रायबहादुर {{{1}}} श्री ए॰ एच॰ ली
{{{1}}} राजा सर रामपालसिंह {{{1}}} श्री एच॰ शार्प
{{{1}}} राय कृष्णसहाय बहादुर {{{1}}} सर आर॰ ए॰ मैंट
{{{1}}} राजा साहब कनिका {{{1}}} मेजर जनरल सर अल्फ्रेड बिंगले
  1. यह संशोधन श्री विठ्ठलभाई पटेलने पेश किया था। संशोधनका समर्थन करते हुए श्री जिन्नाने विषेषकी अनिष्टकारी धाराओंकी जोरदार शब्दोंमें निन्दा की थी।
  2. सर शंकर नायर जिन्होंने अन्ततः जुलाई १९१९ में वाइसरायकी कार्यकारिणी परिषद् से त्यागपत्र दे दिया था।