पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/१९१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१६१
पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

नहीं करता। नामजद सदस्योंने इस विधेयकको अपना समर्थन नहीं दिया है। जमींदार सदस्योंने अपना समर्थन नहीं दिया है। जो सदस्य वकील हैं, वे इसे स्वीकार करने को कतई तैयार नहीं है; जो सदस्य व्यापारी-वर्गके हैं वे इसे स्वीकार नहीं करते। और फिर भी माननीय सर जॉर्ज लाउण्डेजने[१] हमसे कहा है कि "हमें यह कानून पास करना ही होगा, क्योंकि हमें विश्वास है कि यह बिलकुल सही है: हमें आपका सहयोग पाकर खुशी होती, आपका सह्योग प्राप्त करनेकी हमारी चाहे जितनी भी इच्छा हो, मगर अपनी जिम्मेदारी समझते हुए अब हम उसके वगैर भी इसे पास करायेंगे।" मैं माननीय विधिसदस्यके साहसकी सराहना करता हूँ। जिस सरल भावसे उन्होंने कहा कि "आज हमपर जिम्मेदारी है: लेकिन आपके ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं है" उसको मैं प्रशंसा करता हूँ। हम इस स्थितिको समझते हैं। श्रीमन् इस विधेयकके लिए, हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है, और इसीलिए मैं यह माननेसे इनकार करता हूँ कि जब इस मामलेको सही रूपमें जन-मतके सामने रखा जायेगा तो वह कहेगा--जैसा कि माननीय सर विलियम विन्सेंट सोचते प्रतीत होते हैं कि इस स्थितिमें अंग्रेज जनताके कुछ वर्ग शायद ऐसा ही कहते--कि हमारी जिम्मेदारी थी और हमने उससे बचनेकी कोशिश की, किन्तु हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।

इसके बाद निम्नलिखित गम्भीर चेतावनीके साथ श्री शास्त्रीने अपना भाषण समाप्त किया:

अब, श्रीमन् मुझे सिर्फ एक बात और कह देनी चाहिए, और वह उस देशकी भावनाके साथ न्याय करने के लिए, जिसकी ओरसे मैं यहाँ इस समय बोल रहा हूँ। मैं नहीं समझता जब माननीय विधिसदस्य महोदयने कहा कि हममें से कुछ लोग आन्दोलनकी धमकियाँ दे रहे हैं, तो उसके पीछे उनका मंशा भी बिलकुल वैसा ही कहनेका था। मेरा तो खयाल है कि विधेयकके विरुद्ध यहाँ जितने लोग बोले है, उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही है जिसे ईमानदारीके साथ आन्दोलनको धमकी बताया जा सके। मैं कहना चाहूँगा कि हममें से किसीमें, नरम दलवालोंमें से तो किसी में निश्चय ही, इतनी ताकत नहीं है कि वह देशमें हिंसात्मक आन्दोलन खड़ा कर सके। यह असम्भव है। आन्दोलनको स्थिति तो वहाँ पहलेसे ही होगी। यदि यहाँ बोले गये हमारे शब्दोंका सर्वसामान्य राजनीतिक वातावरणपर कुछ भी प्रभाव होता है तो यह निश्चय है कि लोगोंके हृदय स्पन्दित हो रहे होंगे। आन्दोलन तो मौजूद ही है। मैं सरकारी पक्षके अपने सहयोगियोंको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि अभीतक इस

१७-११
  1. वाइसरायकी कार्यकारिणी परिषद्के सदस्य, १९१५-१९२०।