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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पकड़ लें और ऐसे तरीकोंसे दण्डित करें जिनसे न्याय-भावनाको ठेस पहुँचे, जिन्हें देखकर निर्दोष लोगोंको लगने लगे कि देशमें कोई कानून ही नहीं है, जिनके कारण ईमानदारीके साथ सदुद्देश्यपूर्ण सार्वजनिक सेवा-कार्य कर सकना असम्भव हो जाये। बुराइयोंका उन्मूलन करनेकी दृष्टिसे भी यह कीमत बहुत ज्यादा है।...कानूनके भयसे ईमानदार लोग घरोंमें बन्द रहें, जिन गतिविधियोंमें भाग लेना उनकी प्रकृतिका एक हिस्सा है उनमें भाग लेना बन्द कर दें, और महज इसलिए कि देशमें एक भयंकर कानून मौजूद है, वे राजनीतिक और सार्वजनिक कार्योंसे अपनेको दूर रखने लगें--ऐसी स्थितिको अपेक्षा तो चन्द दुष्ट लोगोंको मुक्त रहने देना कहीं अधिक वांछनीय है।

श्री शास्त्रीको इस विधेयकके प्रस्तावपर सर विलियम विन्सेंटके[१] इस वचनमें विश्वास नहीं था कि विधेयकका उद्देश्य "राजनीतिका दमन करना नहीं, बल्कि उसे शुद्ध करना" था। श्री शास्त्रीने सरकारकी नेकनीयतीके लिए तो उसकी नेक सराहना की लेकिन साथ ही कहा:

आह! कितना अच्छा हो, अगर इस संसारमें नेक इरावे हमेशा कामयाब ही हों। सामाजिक और राजनीतिक, दोनों ही कोटिके कानूनोंका इतिहास वे जिन श्रेष्ठ उद्देश्योंसे बनाये गये--उनकी विफलताके दृष्टान्तोंसे भरा पड़ा है। जो कानून गरीबी दूर करनेके इरावेसे बनाये गये, उनके परिणामस्वरूप गरीबी और अधिक बढ़ गई...और मैं माननीय सर विलियम विन्सेंटसे यह निवेदन करना चाहूँगा कि ये जो कानून इस समय हमारे सामने रखे गये हैं उनका उद्देश्य यद्यपि राजनीतिको शुद्ध बनाना है--होसकता है, उनका प्रयोग खतरनाक ढंगसे राजनीतिका दमन करनेके लिए किया जाने लगे। अगर आप ऐसे किसी कठोर कानूनको विधि-पुस्तकमें शामिल करते हैं तो उसका मतलब होगा कार्यपालिकाके अत्युत्साही अधिकारियोंको ऐसी सत्ता वे देना जो मेरे खयालसे प्रशासनिक शान्ति बनाये रखनेके लिए आड़े-टेढ़े रास्तोंको अपनानेकी छूट देना है।

इस दमनकारी कानूनको जनताका कोई समर्थन प्राप्त नहीं था, और सरकार द्वारा अपने भारतीय सहयोगियोंके "सर्वसम्मत और प्रबल" विरोधके बावजूद इसे पास करनेके प्रयत्नके विरुद्ध चेतावनी देते हुए उन्होंने विधान परिषद्से पूछा:

भारतीयों में से अब आपके साथ कौन है? भारतकी करुण कहानी संक्षेपमें इन शब्दों में कही जा सकती है कि आपने भारतमें इतने सौ बरसतक जो शासन किया है वह जनतासे अलग रहकर किया है और लोकमतका कोई जिम्मेदार हिस्सा आपके पीछे नहीं रहा है। लोकमतका कोई अंग आपका समर्थन

  1. वाइसरायकी कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य, १९१९-१९२२।