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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

जिस गुलामीकी जंजीरमें जकड़ दिया था, उससे मुक्त होने के लिए छटपटाती पंजाबकी जनताके उत्साहको एक बार फिर तोड़ डालना चाहा, और उसे तोड़नेकी हरचन्द कोशिश भी की। उन्हें नेताओंके हर ईमानदारी-भरे भाषणमें खतरेकी गंध आने लगी, हर सम्मिलित कार्रवाई में षड्यंत्रका आभास होने लगा, और अन्तत: अपना आपा भूलकर उन्होंने डा० सत्यपाल[१] डा० किचलू[२] और श्री गांधीके विरुद्ध अपने आदेश जारी कर डाले। उन्हें जरूर ही पता रहा होगा कि जो समाज उनके शासनसे पहले से ही चिढ़ा बैठा है, उसपर इन आदेशोंका असर आखिरकार यही होगा कि वह प्रचण्ड रूपसे भड़क उठेगा। हम तो यहाँतक कहना चाहेंगे कि उन्होंने जनताको हिंसा करनेके लिए आमन्त्रित किया ताकि वे उसे कुचल सकें। परिशिष्टमें जो साक्ष्य दिये गये हैं, उनसे प्रकट होता है कि उन्होंने पंजाबियोंको अपने कार्योंसे बहुत ही प्रबल रूपसे उत्तेजित कर दिया, जिसके चलते वे कुछ समयके लिए आत्मसंयम खो बैठे। उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने अपूर्व शीघ्रतासे फिर अपने ऊपर नियन्त्रण कर लिया है, तथा उन्हें, जिन्हें अधिकांशतः बिना किसी अपराधके ही कष्टोंकी जिस अग्नि-परीक्षासे गुजरना पड़ा, उसमें से वे बिलकुल शुद्ध होकर निकले है, और सर माइकेल ओ'डायरने उन्हें समझदारीका जो प्रमाणपत्र दिया था, उन्होंने अपने आपको उसके योग्य सिद्ध कर दिया।

अध्याय ३

रौलट विधेयक

पिछले अध्याय में यह बात पर्याप्त रूपसे स्पष्ट हो जाती है कि पंजाबको जनताको प्रान्तीय-प्रशासनने तरह-तरहसे तंग किया, और जनताके स्वाभाविक नेताओं, अर्थात् शिक्षित-वर्गों, के प्रति सरकार द्वारा अपनाये गये तिरस्कारपूर्ण रवैयेने इन नेताओंके लिए जनताको नियन्त्रणमें रख सकना लगभग असम्भव कर दिया था। तो ऐसा था वातावरण जब रौलट विधेयक पंजाबकी जनताके सामने आये।

यह सर्वविदित है कि जिस समय ये दो विधेयक प्रकाशित किये गये[३], उस समय भारतमें विप्लवकी प्रवृत्तिसे सम्बन्धित अपराधोंका लगभग कोई अस्तित्व नहीं था। सच तो यह है कि पिछले कई बरसोंसे, बंगाल और पंजाबको छोड़कर भारतके शेष सभी भागोंमें इन प्रवृत्तियोंका कोई असर नहीं रह गया था। बंगाल में आतंककारी दलका जन्म उस समय हुआ जब बंग-भंगके विरुद्ध असन्तोषको भावना अत्यन्त उग्र हो गई थी। पंजाबमें इस दलके उदयका कारण पंजाब सरकार द्वारा उठाये गये वे विभिन्न कदम थे जिनसे जनतामें जोरोंका असन्तोष फैला और कैनेडाके गर्वीले सिख प्रवासियोंके साथ हुए घोर दुर्व्यवहारके कारण इस चीजने अत्यन्त गम्भीर रूप धारण कर लिया। इन सिखोंके असन्तोषकी छूत पंजाबके कुछ स्थानीय लोगोंको भी लगी; और 'कोमागाटा मारू' नामक जहाजसे लौटनेवाले इन प्रवासियोंके मामले में सरकारने जो जबरन

  1. और,
  2. इन नेताओंके परिचयके लिए. देखिए रिपोर्टका अध्याय ५, भाग १।
  3. ये विधेयक फरवरी १९१९ में प्रकाशित किये गये थे।