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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


मालगुजारी सहायक (रेवेन्यू असिस्टेंट) खान अहमद हुसैन खाँने अदालतके सामने बयान दिया:

मैंने एक शिकायत यह सुनी कि उसने [मृत तहसीलदारने] पुरुषोंको उनकी औरतोंके सामने नंगा खड़ा होनेपर विवश किया...मैंने ऐसी कोई घटना नहीं सुनी जिसमें किसी औरतको काँटोंसे यन्त्रणा पहुँचाई गई हो, लेकिन मैंने यह अवश्य सुना कि पुरुषोंको कँटीली झाड़ियोंके बीचमें रोककर रखा गया। जून माहको इन घटनाओंके बारेमें मैंने बस सुना-भर है। मैंने यह सब होते हुए अपनी आँखोंसे कभी नहीं देखा। मैंने जो-कुछ कहा है, वह मैंने जेलदारों और अन्य जमींदारोंकी जबानी सुना है। हजारा मियानीके गुलाम मुहम्मदने मुझे बताया कि कौरा कोट और पठानोंके किसी गाँवमें भी, शायद गुरनामें, कुछ औरतोंके साथ बुरा व्यवहार किया गया था। उसने मुझे बताया कि कुछ औरतोंको पहले मीढ़ रांझा, और वहाँसे भुलवल ले जाया गया ताकि उनके सम्बन्धी पुरुषोंपर दबाव पड़े और वे या तो लौट आयें या फौजमें भरती हो जायें। मैंने यह भी सुना कि तहसीलदारके साथियोंने फरार हो जानेवाले आदमियोंकी फसल मवेशियोंसे चरवा दी और उनके घरोंको लूट लिया। मैंने सुना है कि बूचाकलाँके शेर अलीके पास तहसीलदारके जोड़े हुए १५,००० या १७,००० रुपये थे। लोगोंका कहना था कि यह रुपया भरतीके मामले में मिली घूसका था। मैंने यह भी सुना है कि शेर अलीने यह रुपया खुद हड़प लिया।...गाँववालोंकी शिकायत सिर्फ फौजमें भरतीके बारेमें थी। वे फौजमें भरती नहीं होना चाहते थे...। यह मैंने बादमें जाकर सुना कि घुल्लापुरको दो औरतोंपर जूनके महीनमें अत्याचार किया गया था। खुद तहसीलदारने मुझे बताया कि छानीरेहाँमें बहुत-से पुरुष भाग गये थे, और इसलिए उनपर दबाव डालनेके खयालसे उस (तहसीलदार) ने गाँववालोंकी खड़ी फसल मेवशियोंसे चरवा दी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि फरार लोग वापस लौट आये। तहसीलदारके आनेसे पहले ही गाँववाले गाँव छोड़कर भाग गये थे।

अदालतने स्वभावत: यह निष्कर्ष नहीं निकाला कि मृतक व्यक्तिके विरुद्ध दुर्व्यवहारका आरोप सिद्ध होता है। उसने कहा:

मालगुजारी सहायक, खान अहमदखाने हमारे अनुरोधपर तहसीलदारके व्यवहारके बारेमें जो-कुछ सुना था, वह सब बता दिया। लेकिन कुल मिलाकर हमारे सामने जो सबूत आये हैं उनसे प्रकट होता है कि सबूत पक्ष द्वारा जो तथ्य स्वीकार किया गया है, अर्थात् यह कि भरतीका तरीका जबरन भरतीके समान था, उस तथ्यके अलावा तहसीलदारके विरुद्ध लगाया गया दुर्व्यवहारका अन्य कोई दृष्टान्त सिद्ध नहीं हुआ है।