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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

आँकड़ोंसे बड़ी सहायता मिलेगी, खासतौरसे वहाँ जहाँ तत्सम्बन्धी विशेष कार्यालय द्वारा हाल ही में नये सिरेसे कर-निर्धारण किया गया है। आय-करके आँकड़ोंसे, जिन व्यक्तियोंसे युद्ध-ऋणमें मददकी आशा की जाती है, उनकी सापेक्ष आर्थिक दशाका भी किसी हदतक एक विश्वसनीय अन्दाजा मिल जाता है और उसके आधारपर एक मोटा मापदण्ड स्थिर हो जाता है, जिसके बारेमें खयाल किया जाता है कि कुछ जिलोंमें वह लागू भी किया जा रहा है। किसी भी व्यक्तिके ऊपर कर लगाते समय उसकी जो आय कूती जाये, उस आयका औसतन आधार या एक चौथाई धन वह युद्ध-ऋणमें दे सकता है, ऐसा मानना अनुचित नहीं होगा। किसी व्यक्तिने युद्ध-ऋणमें पर्याप्त रुपया लगाया है या नहीं; सो उसी सिद्धान्तके अनुसार तय किया जाना चाहिए। मोटे तौरपर यह कसौटी, या स्थानीय परिस्थितियोंके अनुसार जो अन्य कसौटी ठीक लगे, उसे लागू करके डिप्टी कमिश्नरोंको बराबर यह देखना चाहिए कि उनके क्षेत्राधिकारके अन्तर्गत आनेवाले शहर और गाँव या व्यक्ति अपेक्षित योग दे रहे हैं या नहीं।

फिर डिप्टी कमिश्नरको चाहिए कि वे विशेष सभाएँ करके, साहूकारोंकी स्थानीय समितियाँ बनाकर और इसी प्रकारके अन्य उपायोंसे न्यूनतम देयके रूपमें कूती गई रकम इकट्ठी करें। इतना तो कमसे-कम उन्हें करना ही चाहिए। बड़े नगरों में न्यायिक अधिकारियों, अतिरिक्त सहायक कमिश्नरों या तहसीलदारोंकी अध्यक्षतामें व्यापारियोंकी स्थानीय समितियाँ संगठित करनेसे ऋणकी माँगका शायद सन्तोषजनक विभाजन हो सकेगा। विभिन्न शहरों और समुदायों द्वारा प्राप्त रकमोंके तुलनात्मक विवरण समय-समयपर प्रकाशित करके उनमें परस्पर होड़की भावना पैदा की जा सकती है। सनद, कुर्सी और विशेष प्रमाण-पत्र देनेका वादा करनेसे भी धन प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है। दूसरी ओर धनवान नागरिकोंको साफ-साफ बता दिया जाये कि यदि वे इस मामलेमें अपना कर्तव्य नहीं करेंगे तो म्युनिसिपल नोटिफाइड एरिया कमेटियोंमें नामजदगी करते समय, या अवैतनिक मजिस्ट्रेटोंकी नियुक्तिके समय या और रूपोंमें सरकारी सम्मान देते समय इस बातको याद रखा जायेगा और उन्हें इस आधारपर ये पद और सम्मान नहीं दिये जायेंगे क्योंकि ये सम्मान तो उन्हीं लोगोंके लिए सुरक्षित हैं जिन्होंने प्रशासनकी सहायता करनेकी अपनी इच्छा कार्यरूपमें व्यक्त की है।

इसका परिणाम यह हुआ कि छोटे सरकारी कर्मचारियोंने लोगोंके ऊपर दबाव डाला। अम्बाला जिलेके एक व्यक्तिको एक पत्र लिखा गया "जिसमें उससे कहा गया था कि वह लाला रंगीलाल, सब-जजकी मार्फत डिप्टी कमिशनरको सूचित करे कि युद्ध-ऋणमें वह कितना धन लगाना चाहता है।" इस पत्रका अभिप्राय तो स्पष्ट ही है।