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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

जाय जैसी बिहार और उड़ीसा प्रान्तमें है। इस नरम प्रस्तावका किसी भी ओरसे कोई विरोध नहीं हुआ। सर माइकेल ओ'डायर स्वयं इस प्रस्तावके पक्षमें बोलनेके लिए खड़े हुए, लेकिन सभी लोगोंने विस्मयके साथ देखा कि वे अपने इस भाषणमें जितनी भी असम्बद्ध बातें कह सकते थे, और शिक्षित-वर्गकी जितनी भी निन्दा कर सकते थे उन्होंने कह और कर डाली। आखिर माननीय पंडित मदनमोहन मालवीय और ज्यादा सहन नहीं कर सके तो उन्होंने भाषणके बीच में ही टोककर वक्तासे क्षमा माँगनेको कहा और वाइसरायके कहनेपर सर माइकेलको क्षमा माँगनी पड़ी। परमश्रेष्ठ वाइसराय महोदयको यह स्पष्ट कर देना जरूरी जान पड़ा कि वे सर माइकेलके विचारों से सहमत नहीं है। हम सर माइकेलके भाषणसे कुछ अंश नी वे उद्धृत कर रहे हैं:

अपने प्रान्तके सम्बन्धमें जहाँ मैं इस बातका स्वागत करूँगा कि वहाँ तेजीसे प्रगति हो, वहाँ मैं यह भी कहूँगा कि उन शर्तों (आशय मिल द्वारा स्वशासनके लिए निर्धारित तीन शर्तोंसे था) के अभी बहुत समयतक पूरी होनेकी कोई सम्भावना नहीं है।

उन्होंने फिर कहा:

जो लोग भारतकी राजनिष्ठा और भारतीयों तथा भारतीय सेना, जो मुख्यतः पंजाबकी सेना है, के बलिदानके आधारपर राजनीतिक दावे पेश करते हैं, वे यदि महामहिम सम्राट के प्रति अपनी राजनिष्ठा, और त्याग-बलिदानका सारा बोझ बरदाश्त करनेवाले इस प्रान्तके प्रति अपनी सहानुभूति केवल बड़ी-बड़ी बातें कहकर नहीं बल्कि किसी व्यावहारिक रूपमें, उदाहरणार्थ अन्य प्रान्तोंमें भरतीके काममें सक्रिय सहायता देकर, प्रमाणित करें तो हमें बहुत खुशी होगी।

उसी भाषणके निम्नलिखित अंशसे देखा जा सकता है कि सर माइकेलके मनमें शिक्षित-वर्गके लिए किस कदर अनादरकी भावना है:

आजकलके इस दौरमें जब कि राजनीतिक भाषणों और राजनीतिक परचेबाजियोंके कारण हमारे बहरे-अन्धे हो जानेका खतरा पैदा हो गया है, यह हमारे हितमें है कि हम मिथ्याचार और भ्रमजालसे छुटकारा पाने के लिए कभी-कभी धरतीकी ओर भी देखें, और स्वयंसे पूछें कि इस तमाम गुलगपाड़े और कोरी बातोंसे धरतीके सपूतका, हलकी मूठ पकड़े उस आदमीका, क्या लाभ होगा जिसकी जिन्दगी एक फसलसे दूसरी फसलतक लगातार एक प्रश्न-चिह्नजैसी बनी रहती है।

इस भाषणके फलितार्थ स्पष्ट हैं। शिक्षित-वर्गके प्रति इसी अपमानजनक उक्तिके लिए उन्हें [सर माइकेलको] क्षमा माँगनी पड़ी थी।

साधारण अंग्रेजीमें क्षमा-प्रार्थनाका अर्थ यह है कि जब किसी व्यक्तिने अपने किसी शब्द या कार्यके लिए क्षमा माँग ली तो वह उस शब्द या कार्यको फिर दोहरायेगा