पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/१७०

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


इतना ही नहीं, बल्कि जब प्रान्तीय विधान परिषद्के कुछ सदस्य लाहौरमें पिछले प्रान्तीय सम्मेलनमें आये तो मुख्य सचिवने इन सज्जनोंको बुलाया और इस प्रकार लताड़ा कि उनमें ब्रैडलॉ हॉलकी दूसरी सार्वजनिक सभाओं में उपस्थित होनेका साहस ही नहीं रहा। (बयान संख्या ५५३)[१]

१९१७ में केन्द्रीय विधान परिषद्के उन्नीस सदस्योंने अपने उस प्रसिद्ध ज्ञापनपर हस्ताक्षर किये, जिसमें सुधारोंके सम्बन्धमें उनके प्रस्ताव[२] दिये गये थे। उस योजनापर स्वीकृति देने के लिए एक सभा बुलाई गई। उसकी सूचनापर हस्ताक्षर करनेवाले लोगोंमें चार व्यक्ति पंजाबके थे। सर माइकेल ओ'डायरने इन लोगोंको बुला भेजा और स्वयं अपनी बुद्धिसे काम लेने और सूचनापर हस्ताक्षर करनेकी धृष्टताके लिए उनको बहुत डाँटा-फटकारा। उसके बाद कांग्रेस-लीग योजना आई और उन्होंने पंजाबको उससे अलग रखनेकी भरसक कोशिशको और हिन्दुओं तथा मुसलमानोंके बीच हार्दिक एकता स्थापित करने के प्रयत्नको व्यर्थ करने में कोई कसर नहीं रखी। उन्होंने श्रीमती बेसेंट और श्री तिलकके नेतृत्वमें चल रहे होमरूल आन्दोलनकी तुलना गदर पार्टी[३] और दक्षिण पश्चिम पंजाबके पागल लोगोंकी कार्रवाईसे करके मामलेको उलझानेकी कोशिश की। हालांकि जहाँ होमरूल आन्दोलनका लक्ष्य संवैधानिक और शान्तिपूर्ण उपायोंसे साम्राज्यके अन्तर्गत स्वराज्य प्राप्त करना था, वहाँ गदर पार्टीका उद्देश्य बिलकुल खुले तौरपर हिंसाका प्रयोग करके अंग्रेजोंको यहाँसे निकाल बाहर करना था। दक्षिण-पश्चिम पंजाबके लोगोंने जर्मन-सहायतासे एक इस्लामी राज्य स्थापित करनेके अपने सनकभरे विचारोंके कारण बहुत-से घर बर्बाद कर दिये थे। सर माइकेल ओ'डायरने गदर आन्दोलनको बड़ी बेरहमीसे कुचला और हमें शंका है कि इसमें उन्होंने सैकड़ों बेगुनाहोंपर भी अन्याय किया। वे सन् १९१५में दक्षिण-पश्चिम पंजाबमें अरक्षित घरोंकी लूटमारपर विचार करनेका ढोंग करते रहे और उस लूटपाटको महज अनाजकी लूट मानते रहे। उन्होंने इस सम्बन्धमें तभी जोरदार कार्रवाई की जब वे बिलकुल मजबूर हो गये और जब उन्होंने यह देखा कि यह लूटपाट इतनी गम्भीर हो गई है कि इससे भरतीके काममें भी विघ्न पड़ सकता है।

१३ सितम्बर, १९१७ को मानतीय सर मुहम्मद शफीने[४] एक प्रस्ताव पेश करके यह माँग को कि पंजाबमें विधि-निर्मात्री और प्रशासकीय प्रणाली वैसी ही कर दी

  1. यह वक्तव्य और इसके बाद भी जो वक्तव्य प्रमाण रूपमें पेश किये गये हैं वे सब कांग्रेसको पंजाब प्रान्तीय उप-समितिके कमिश्नरोंकी रिपोर्ट के दूसरे खण्डमें दिये गये हैं। यह खण्ड यहाँ नहीं दिया गया हैं। वक्तव्य, पृष्ठ संख्या और परिशिष्ट (जो कोष्ठकोंमें उद्धृत किये गये हैं) उसी खण्डके हैं।
  2. इन प्रस्तावोंका आधार औपनिवेशिक स्वराज्य था।
  3. गदर पार्टी कैलीफोनियामें ग़दर अखबारके सम्पादक लाला हरदयालने १९११ में स्थापित की थी। उन्होंने अपने पत्र और संगठनको सहायतासे पंजाबसे गये हुए बहुतसे प्रवासियोंको अपने क्रान्तिकारी कार्यक्रममें शामिल कर लिया था। ये लोग अपने सम्बन्धियों को सहायताले भारतीय सेनामें असन्तोष और विद्रोह फैलाने का प्रयत्न करते थे, जिसमें उन्हें कुछ सफलता भी मिली।
  4. शाही विधान परिषद्के सदस्य; वादमें १९२० में वाइसरायकी कार्यकारिणी परिषद्के सदस्य नियुक्त।