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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पत्रोंसे जमानतें माँगी गई; कुछको पहले से जमा की गई जमानतें जब्त कर ली गई। उन्होंने एक महीने बाद प्रान्तीय विधान परिषद्के अध्यक्षको हैसियतसे अखबारोंको दूसरी चेतावनी दी:

यदि अबतक की गई कार्रवाईका अभीष्ट प्रभाव नहीं हुआ तो सरकार इन अपराधियोंके साथ भी वैसा ही व्यवहार करेगी जैसा वह अव्यवस्था या असन्तोष फैलानेवाले अन्य व्यक्तियोंके साथ करती है; और कानून-प्रदत्त समग्र साधनोंका उपयोग करेगी और इनमें जमानतें लेना और ली हुई जमानतोंको जब्त करना न्यूनतम है।

इस चेतावनीके बाद समाचारपत्रोंके सम्बन्धमें कठोरतर नीति अपनाई गई, यद्यपि उसी भाषण में उन्होंने स्वयं प्रान्त में वर्तमान शान्तिके सम्बन्धमें यह कहा था:

इस दिशामें जो भारी सफलता मिली है उसका कारण प्रशासन और लोगोंके बीचका वह पारस्परिक विश्वास और निकट सहयोग है, जो इस प्रान्तकी सदा ही विशेषता रही है।

इसके छ: महीने बाद उन्हें प्रान्तमें कार्यकारिणी परिषद् स्थापित करने के एक प्रस्तावपर अपने विचार प्रकट करनेका अवसर मिला। यह प्रस्ताव बहुत ही निर्दोष था; किन्तु उन्होंने १३ अप्रैल, १९१४को इसका उत्तर इस प्रकार दिया [जिसका विवरण इस प्रकार है]:

इस प्रस्तावसे मुझे कुछ आश्चर्य ही हुआ है। इस प्रान्तके लोग प्रारम्भसे ही लेफ्टिनेंट-गवर्नरको प्रान्तका प्रमुख शासक और प्रशासनके लिए पूर्णतः उत्तरवायी माननेके अभ्यस्त हैं। प्रान्तने इस प्रणालीके अन्तर्गत इतनी प्रगति की और ऐसी समृद्धि प्राप्त की है कि उसकी तुलना किसी भी अन्य प्रान्त या अहाते (प्रेसीडेन्सी) से की जा सकती है। यह सवाल व्यावहारिक राजनीतिके दायरेमें केवल तभी आ सकता है जब यह सिद्ध कर दिया जाये कि प्रान्तके वर्तमान प्रशासन में कुछ दोष हैं, जिनसे उसे हानि पहुंच रही है और ये दोष कार्यकारिणी परिषद्से दूर हो जायेंगे।

इसके बाद उन्होंने उन लोगोंका, जो उनका सम्मान करने के लिए आये थे, यह उद्धरण देकर अपमान किया: "सरकारके स्वरूपके प्रश्नपर मूर्ख लोग ही झगड़ते हैं।"

पाँच महीने बाद लड़ाई शुरू हो गई और पंजाबियोंको भारत-रक्षा कानूनके अमलका अच्छा खासा तजुर्बा हुआ। इसे पास करवाने में सर माइकेलका कम हाथ न था। इसमें उनका कितना हिस्सा था और वे सामान्य कार्य-विधि और कानूनी व संरक्षणका अतिक्रमण करनेके लिए क्या-क्या अधिकार चाहते थे, यह उनकी नीचे दी हुई सिफारिशोंसे, जो बादमें साम्राज्य सरकारने मंजूर कर ली थीं, देखा जा सकता है। हमने ये सिफारिशें राजद्रोह-समितिकी रिपोर्टके पृष्ठ १५१से ली है:

लेफ्टिनेंट गवर्नरका खयाल है कि इस समय अपराध करते हुए या उत्पात खड़ा करनेका प्रयत्न करते हुए गिरफ्तार किये गये इन विप्लववादियों या अन्य