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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तत्काल न रोका गया तो अव्यवस्था फैलेगी और खूनखराबी होगी। अमृतसर और लाहौरमें ऐसी स्थिति उत्पन्न हो चुकी है और उससे कानून-पालक नागरिकोंके जानोमालको खतरा पैदा होगा। सरकार आपसे और सभी वफादार नागरिकोंसे, चाहे उनके राजनीतिक विचार कुछ भी हों, यह उम्मीद रखती है कि इस खतरनाक आन्दोलनकी खुल्लम-खुल्ला निन्दा करने में उसका साथ दें और इसे जल्दी बन्द करवायें। इस मामले में और ऐसे ही अन्य मामलों में सरकारके साथ सहयोग करना आपको युद्ध के दौरान की गई सेवाओं के समान ही मूल्यवान और सराहनीय होगा।

फिलहाल स्थिति नाजुक है और आपको और सरकारको तत्काल कार्रवाई करनेकी जरूरत है। सरकार अपने कर्तव्यका पालन करने में नहीं झिझकेगी और आपको भी अपने कर्तव्यका पालन करनेमें मदद देगी। सरकार कानूनपर अमल करेगी और यदि उससे खून-खराबी होती है तो इसकी जिम्मेवारी उनपर होगी जो दूसरोंसे कानून तुड़वाते हैं।

यह मेरी आखिरी सलाह है और मैं जानता हूँ कि आप इसपर तत्काल कार्रवाई करेंगे और मुझे सहयोग देंगे जिससे मैं प्रान्तसे जानेसे पहले सार्वजनिक व्यवस्थाको स्थापना कर सकें। ये उत्पात यद्यपि बहुत गम्भीर है फिर भी थोड़े क्षेत्रमें ही सीमित हैं और आपकी सहायतासे जल्दी ही समाप्त हो जायेंगे।

इस बातका स्मरण करके मुझे सदा गर्वका अनुभव होगा कि युद्धकालमें या आन्तरिक उपद्रवोंके समय जब भी मैने पंजाबकी सैनिक जातियोंसे अपील की, वह व्यर्य नहीं गई। मुझे विश्वास है कि आप अपनी कार्रवाईसे और जिन वफादार और तगड़े लोगोंका आप प्रतिनिधित्व करते हैं, उनकी कार्रवाईसे अगले कुछ हफ्तोंमें ही आप मेरी कृतज्ञता और सरकारको सहानुभूतिके और अधिक पात्र बन जायेंगे।

अब मुझे आपसे विदा लेनी चाहिए। प्रान्तसे जाते समय मुझे यह याद रहेगा कि आपने क्या-कुछ कर दिखाया है। मैं आपको, आपके कामको और आपके हितोंको कभी भी भुला नहीं सकूँगा।

हमने इस भाषणकी पूरी नकल दे दी है, क्योंकि इससे सर माइकेल ओ'डायरकी मनोवृत्तिका पता चलता है। यह भाषण पंजाबकी सैनिक जातियोंके लिए दिया गया था। इसमें उन्होंने इन लोगोंको आम जनताके विरुद्ध भड़काने में कोई कसर नहीं रखी थी। उन्होंने तथ्योंको तोड़-मरोड़कर भी पेश किया है। उदाहरणार्थ मुल्तानमें सैनिकोंके विरुद्ध लोगोंके व्यवहारके सम्बन्धमें। हमने इस घटनाकी जांच की है और हमें मालूम हुआ है कि मुल्तानमें वहाँसे गुजरनेवाले सैनिकोंका कोई अपमान नहीं किया गया। उन्होंने जानबूझकर श्रोताओंके सम्मुख रौलट अधिनियमकी व्याप्तिके सम्बन्धमें गलतबयानीकी है और फिर लोगोंको वस्तुतः राजनीतिक आन्दोलनमें भाग लेनेपर दण्ड देनेकी धमकी दी है।