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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

दूसरेके साथ और ब्रिटिश सरकारके साथ वफादारी और बहादुरीको वो फौलादी जंजीरोंसे बँधी हुई है।

आप प्रशासनकी कठिनाइयाँ, अव्यवस्था और अराजकताके कारण शान्तिपूर्ण और व्यवस्थित प्रगतिमें पड़नेवाली बाधाओंको रोकनेके लिए कदम उठानेको आवश्यकता तो अनुभव करते ही हैं। आप पिछले कुछ हफ्तोंमें देख चुके हैं कि जो कानून, अराजकता और विप्लवके ऐसे विस्फोटोंसे लोगोंके जानोमालकी हिफाजत करने के लिए पास किया गया था--और जो केवल तभी काममें लाया जायेगा जब दुर्भाग्यवश ऐसी स्थितियां पैदा हो जायें--उसी कानूनको एक छोटे, किन्तु बहुत चीख-पुकार मचानेवाले वर्गने लगातार झूठ बोलकर और गलतबयानी करके ऐसे रूपमें चित्रित किया, जिससे लगता है कि उसका निर्माण लोगोंके विरुद्ध एक घातक हथियारको तरह प्रयोग करने के लिए किया गया हो, हालाँकि सत्य यह है कि उसका उद्देश्य जबरदस्त आपत्कालीन स्थिति आनेपर उनकी रक्षा करना है। आपमें से जिन्होंने उस कानूनका अध्ययन किया है वे जानते हैं कि यह आन्दोलन कितना निराधार है। इस आन्दोलनके पीछे जिन लोगोंका हाथ है आप उनके उद्देश्योंका कुछ अनुमान उस घटनासे लगा सकते हैं, जो कुछ दिन पहले मुल्तानमें हुई। उस समय रौलट विधेयक आन्दोलनको बहाना बनाकर उन वीर पंजाबी मुसलमानों, सिखों और गोरखोंका अपमान किया गया जो भारतकी रक्षाकी लड़ाइयाँ लड़कर मोर्चेसे लौटे थे और हम जानते हैं कि इन सैनिकोंका अपमान करनेवाले लोगोंमें स्वतः कोई बहादुरी नहीं है और न जो लोग उनके घर-बारोंकी रक्षाके निमित्त लड़ रहे थे उनकी बहादुरी और वफावारीके प्रति उनके मनमें कोई सराहनाका भाव ही था। उनका उद्देश्य तो बस सरकारपर हमला करना और उन लोगोंका अपमान करना है जिन्होंने नमकहलाली की है। वफादार लोगोंको उनके निकृष्ट उद्देश्योंका विरोध करना चाहिए और वे उनका विरोध करेंगे भी। इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि जिनपर आपका प्रभाव हो, उन लोगोंको आप उस काननूमें सचमुच सरकारको जो नीयत और नीति है वह बतायें और अज्ञानी और भोले-भाले जनसाधारण और शहरोंके निम्न वर्गोंके लोगोंको भ्रमित करने और उन्हें अपराध करने और अव्यवस्था फैलानेके लिए उभाड़नेके उद्देश्यसे जो झूठा प्रचार किया जा रहा है उसकी कलई खोलें।

आन्दोलनके अभिप्रेरकोंने सबसे पहले तथाकथित निष्क्रिय प्रतिरोधको नीति घोषित करके यह काम शुरू किया। उसने क्या रूप लिया है? शनिवारको मुल्तानमें जो-कुछ हुआ, वह आपने सुन लिया। रविवारको लाहौर और अमृतसरमें कानून-पालक नागरिकोंके विरुद्ध दबाव और आतंकका प्रयोग किया गया और बम्बईमें वे खुल्लमखुल्ला कानून तोड़ने लगे हैं। इस आन्दोलनको यदि