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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
१,२७,००० से ऊपर सैनिक भरती किये और एक साल पहले हमारी कुल भरती ढाई लाखसे ज्यादा थी। तब हम लड़ाईके बहुत ही नाजुक दौरसे गुजर रहे थे और महामहिम सम्राट्के अगस्त माहवाले सन्देश और प्रधान मन्त्रीकी अपीलके उत्तरमें मैंने इस प्रान्तके लोगोंसे कहा कि वे एक सालमें २,००,००० आदमी और भरती करें जिनमें १,८०,००० लड़ंत सैनिक हों। बहुत-से लोगोंका खयाल था कि यह माँग बहुत ज्यादा है। वे लोग यह नहीं जानते थे कि पंजाबमें कितना जोश है। अप्रैल और मईके महीने फसल कटाईके थे, इसलिए १९१८ के उन दो महीनों में हमने सोच-समझकर भरती की गति तेज नहीं की किन्तु २१,००० रंगरूट भरती किये गये। जूनसे सितम्बरतक सभी जगह भरतीका अभियान बड़े उत्साहसे चलाया गया और उन चार महीनोंमें ७८,००० रंगरूट अर्थात् प्रतिमास १९,५०० से ज्यादा सैनिक भरती हुए। अक्तूबर में इन्फ्लुएंजाकी बीमारीके कारण भरती घटकर १४,४२६ पर आ गई और नवम्बरमें, जब हम नया प्रयत्न प्रारम्भ करनेवाले थे, हमारे शत्रुओंने हथियार डाल दिये, लड़ाई बन्द हो गई, और भरती घटकर ६,३१३ पर आ गई; किन्तु जूनसे नवम्बर तक के ६ महीनोंमें हमने ९९,००० सैनिक अर्थात् जितने सैनिकोंका वचन दिया था उनसे आधे सैनिक भरती कर लिये थे, और अप्रैलसे नवम्बर तक के आठ महीनों में १,००,००० लड़ैत सैनिकोंको मिलाकर हमारा कुल योग १,२१,००० हो गया था। यदि आवश्यकता जारी रहती तो हमने अपना २,००,००० सैनिकोंका कोटा पूरा कर दिया होता। वर्तमान स्थितिमें हम यह कह सकते हैं कि हमने लड़ाईके चार सालोंमें ३,६०,००० लड़ैत सैनिक भरती किये हैं, अथवा कहना चाहिए कि हम अपने वीर पड़ोसी और मित्र देश नेपालको छोड़ दें तो हमने समस्त भारतमें होनेवाली कुल भरतीका आधेसे भी अधिक भाग अपने प्रान्तसे दिया।
३,५५,००० लड़ैत सैनिकों में मुख्य धर्मों और जातियोंके लोगोंका भाग मोटे तौरपर इस प्रकार है :
मुसलमान १७०,०००
पठान ५,०००
उत्तर और मध्य पंजाबके मुसलमान, जो  
सामान्यतः पंजाबी मुसलमान कहे जाते हैं १,३६,०००
दक्षिण पंजाबके मुसलमान २५,०००
काश्मीरी १,५००
अन्य मुसलमान २,५००