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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

लोहा लेना पड़ा था। इसी प्रान्तमें सिकन्दर महान्का पहली बार पुरुके नेतृत्वमें एक ऐसे शत्रुसे सामना हुआ था जिसके विरुद्ध विजयी होनेपर भी उसका समस्त संसारमें अपना राज्य स्थापित करनेका स्वप्न चूर-चूर हो गया था।

मुख्य पंजाबकी भूमि सिन्धु, सतलज, रावी, ब्यास, चिनाब और झेलम--इन पाँच नदियोंके पानीसे सिंचित होती है। इसीसे इसका नाम पंजाब पड़ा है। यह भारतके उत्तर-पश्चिम भागमें स्थित है। इसके उत्तरमें हिमालयका एक भाग और काश्मीर, पश्चिममें सिन्धु नदी, दक्षिणमें सिन्ध प्रदेश और राजपूताना और पूर्व में यमुना नदी है।

पंजाबका वर्तमान क्षेत्रफल १,३५,७७३ वर्गमील है, जिसमें से १,००,००० वर्गमीलसे कुछ कम क्षेत्रपर सीधा अंग्रेजोंका राज्य है और शेषपर भारतीय राजाओं और जागीरदारोंका। सन् १९११ में इसकी आबादी दो करोड़से कुछ कम थी। यह प्रान्त पहले बहुत बड़ा था; किन्तु १९०१ में इसके एक भागको अलहदा करके एक अलग प्रान्त बना दिया गया जिसका नाम अब पश्चिमोत्तर सीमान्त प्रदेश है। सन् १९१२ में, जब ब्रिटिश भारतीय साम्राज्यकी राजधानी दिल्ली लाई गई, इसका एक और टुकड़ा अलग कर दिया गया और दिल्ली शहर तथा उसके आसपासके प्रदेशको मिलाकर एक अलग प्रान्त बना दिया गया।

पंजाबमें ज्यादातर आबादी हिन्दुओं, मुसलमानों और सिखोंकी है। सिखोंका असली घर पंजाब ही है और उनकी संख्या करीब ३५ लाख है। यहाँके लोगोंका मुख्य धन्धा खेती है; किन्तु दूसरे उद्योग भी पनप रहे हैं और पंजाबके विभिन्न नगरों में भापसे चलनेवाले बहुतसे कारखाने खुल गये हैं।

ब्रिटिश भारतीय सेनाके लिए सर्वोत्तम सैनिक पंजाबसे मिलते हैं। गत युद्धमें[१] अन्य सभी प्रान्तोंकी अपेक्षा पंजाबने सबसे अधिक सैनिक दिये थे।

लड़ैत जातियोंमें सिखोंका स्थान पहला है और उनके बाद आते हैं राजपूत और जाट। पश्चिमी और दक्षिणी भागोंके राजपूत और जाट जातियोंके लोग मुख्यतः मुसलमान हैं और पूर्वी और उत्तरी भागोंके हिन्दू। मध्य पंजाबके जाट ज्यादातर सिख हैं।

पंजाबने लड़ाई में कितने सैनिक दिये, यह हम यहाँ स्वयं सर माइकेल ओ डायरके[२] शब्दोंमें देते हैं। गत ७ अप्रैलको भाषण देते हुए उन्होंने कहा था:

मैं पिछले साल लड़ाई और लड़ाईमें पंजाबके योगदानके सम्बन्धमें इतनी बार बोला हूँ कि उसके सम्बन्धमें आज मुझे और कुछ कहनकी जरूरत नहीं है। जब लड़ाई शुरू हुई तब हमारी सेनामें १,००,००० सैनिक थे।

१९१७ में मैं आपसे यह कहनेको स्थितिमें हो गया था कि हमने लड़ाईके पहले ढाई सालोंमें १,२४,००० सैनिक भरती किये थे। उसके अगले साल हमने

  1. सन् १९१४-१८ का प्रथम विश्वयुद्ध।
  2. पंजाबके लेफ्टिनेंट-गवर्नर, १९१३-१९।
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