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९१. पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट[१]
अध्याय १
पंजाब
(इतिहास और भूगोलकी दृष्टिसे)

इतिहास की दृष्टिसे पंजाबको भारतका सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण प्रान्त समझा जा सकता है। वैदिक कालमें आर्य सबसे पहले यहीं आकर बसे थे। ऋग्वेदके मन्त्र सबसे पहले यहीं उच्चरित हुए थे। तक्षशिलाका महान् विश्वविद्यालय, जहाँ संसारके विभिन्न भागोंसे ज्ञानपिपासु लोग इकट्ठे हुआ करते थे, यहीं था। महाभारतके शूरवीर पाण्डवों और कौरवोंका महायुद्ध इसी प्रान्तमें हुआ था।

मिस्रका बादशाह ऑसिरिस भारतमें पहले-पहल यहीं आया था और इसी प्रदेशमें असीरियाकी रानी सेमिरामिसको, जो अपनी विशाल सेनाएँ लेकर भारतपर अपना प्रभुत्व स्थापित करनेके लिए आई थी, करारी हार खानी पड़ी थी। सीथियनों, तातारों और ईरानियोंको भारतमें प्रवेश करनेका प्रयत्न करते समय पंजाबके सपूतोंसे

  1. यह रिपोर्ट, जिसका पूरा नाम—भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी पंजाब उप-समिति द्वारा नियुक्त जाँच आयुक्तोंकी रिपोर्ट—है, और जो २५ मार्च, १९२० को प्रकाशित की गई थी निम्न प्रमाणोंके आधारपर गांधीजीकी लिखी हुई मानी गई है :
    (१) "समितिके कार्यको संगठित करनेका दायित्व मुझे सौंपा गया था और चूँकि ज्यादातर जगहों में जाँच करानेका काम मुझे दिया गया था, इसलिए मुझे एक दुर्लभ अवसर प्राप्त हुआ था . . .। इस समितिकी रिपोर्ट तैयार करनेका काम भी मुझे सौंपा गया था. . . चूँकि इस रिपोर्टको तैयार करनेका उद्देश्य एकमात्र सत्यको प्रगट करना था, इसलिए पाठक देख सकेंगे . . .। आत्मकथा, खण्ड ५, अध्याय ३५।
    (२) (क) "तमाम दिन गांधीजीकी रिपोर्टपर विचार करने में बीता।" स्टोरी आफ माई लाइफ; एम॰ आर॰ जयकर; खण्ड १, पृष्ठ ३२२।
    (ख) "रिपोर्ट गांधीजीने तैयार की और मैंने उसमें सहायता दी।" वही, पृष्ठ ३२४।
    (ग) "गांधीजीने रिपोर्टका पहला मसविदा एक छोटेसे शान्त कमरे में बैठकर तैयार किया।" वही, पृष्ठ ३२८।
    (घ) तबतक दास, मोतीलाल और तैयबजी समितिसे निकल गये थे और गांधी और मैंने रिपोर्टके प्रकाशनार्थं कठोर श्रम किया। हमारे सतत् श्रमका विवरण मेरो डायरीमें अंकित है...। वही, पृष्ठ ३२९।

    (३) इस खण्डमें छापे गये वे पत्र जो गांधीजीने मार्च १९२० में जयकरको लिखे थे।
    रिपोर्ट दो खण्डों में प्रकाशित की गई थी। इसके पहले खण्डमें केवल रिपोर्ट थी और दूसरेमें गवाहियाँ। यहाँ केवल पहला खण्ड ही दिया गया है।