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पत्र: एस्थर फैरिंगको

पाऊँ क्योंकि आजके बाद कल क्या होगा, कह नहीं सकता। छोटा ही सही, पत्र जरूर देना।

सस्नेह,

बापू

[अंग्रेजीसे]
माई डियर चाइल्ड

८७. पत्र: एस्थर फैरिंगको

सोमवार [२२ मार्च] १९२०

रानी बिटिया,

आजके लिए नीचे लिखी कविता चुनी है:

जो अधःस्थित ही है उसे गिरनेका डर नहीं है,
जो झुका हुआ है उसे घमण्ड नहीं छू पाता,
और जो नम्र है--
भगवान उसे रास्ता दिखाता है।
मेरे पास थोड़ा या बहुत जो है
मैं उससे सन्तुष्ट हूँ
हे प्रभु सन्तोषको ही मुझे तृष्णा है
क्योंकि तू उन्हें शरण देता है जो सन्तुष्ट हैं।
जो तीर्थयात्रापर निकले है
बहुत तो उनके लिए बोझा ही है
यहाँ स्वल्प तो वहाँ सुख,
यह सदा सच है और श्रेष्ठ है।

जॉन बनियन

सस्नेह,

तुम्हारा,
बापू

[अंग्रेजीसे]
माई डियर चाइल्ड