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८२. पत्र: एल० फ्रेंचको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
२० मार्च, १९२०

श्री एल० फ्रेंच

पंजाब सरकारके मुख्य सचिव
लाहौर

प्रिय श्री फ्रेंच,

मैं सरगोधाके बयान अभीतक नहीं भेज सका था। आशा है इसके लिए आप मुझे क्षमा करेंगे।[१] मैं उन्हें अपने साथ अहमदाबाद नहीं लाया था, और एक स्थानीय कार्यकर्ताके द्वारा कुछ और बयान लिये जा रहे थे। और फिर मैं यात्रामें ही रहा हूँ। मुझे जो बहुत सारे बयान मिले हैं, उनमें से कुछ चुने हुए बयान अब में आपको भेज रहा हूँ। यथासमय आपके उत्तरकी आशा करूँगा। बड़ी कृपा हो अगर यह सूचित करें कि दाण्डिक-पुलिस (प्यूनिटिव पुलिस) हटा ली गई है या नहीं।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७१२६ पी०) को फोटो-नकलसे।

८३. पत्र: वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

२० मार्च, १९२०

प्रिय मित्र,

आशा है आपने ६ अप्रैलसे १३ अप्रैलतक वह सप्ताह मनाने का मेरा सुझाव[२] पढ़ लिया होगा जिसे सत्याग्रह-सप्ताह कहा जा सकता है। मैं आशा कर रहा हूँ कि सप्ताहके दौरान दस लाख रुपये इकट्ठा करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। यदि स्वयंसेवक जानी-मानी साखवाले लोग हों और उनकी ईमानदारीमें किसी तरहके सन्देहको गुंजाइश न हो तो हमें रसीदोंकी कोई जरूरत नहीं, सभी लोगोंसे सीधे चन्दा ले लेता काफी होगा। धनवान स्त्री-पुरुष अपने सुपरिचित क्षेत्रों में जाकर चन्दा इकट्ठा कर सकते हैं। किन्तु जिस बातपर मैं और जोर देना चाहता हूँ वह कामका तरीका नहीं, बल्कि खुद काम ही है। आशा है मैंने जिस तरीके से यह सप्ताह मनानेका सुझाव

दिया है उस तरीके से उसे मनाने या १३ तारीखके कत्लेआमके[३] सिलसिले में एक स्मारक

  1. देखिए "पत्र: एल० फ्रेंचको", २९-२-१९२०।
  2. यंग इंडिया में प्रकाशित; देखिए "६ अप्रैल और १३ अप्रैल", १०-३-१९२०।
  3. जलियाँवाला बागमें ।