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७९. पत्र: वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको[१]

बम्बई
१८ मार्च, १९२०

प्रिय श्री शास्त्री,

चूँकि मैंने पिछले वर्ष कांग्रेसके कामकाज में सक्रिय भाग लिया था, इसलिए मुझसे किसी संगठन में शामिल होकर और भी सक्रिय रूपसे भाग लेनेको कहा गया है। यह माँग उन लोगोंकी ओरसे आई है जिनके साथ काम करनेका मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है, यद्यपि उनके संगठनसे मेरा कोई सम्बन्ध नहीं था। उन्होंने मुझसे अखिल भारतीय होमरूल लीगमें सम्मिलित होनेको कहा है। उत्तरमें मैंने उनसे यह कह दिया है कि अपनी इस आयुमें, जबकि अनेक विषयोंपर मेरे कुछ निश्चित विचार बन चुके है, मैं किसी भी संगठन में उसकी नीतिसे स्वयं प्रभावित होनेके लिए नहीं, बल्कि उसकी नीतिपर प्रभाव डालने के लिए ही सम्मिलित हो सकता हूँ। इसका यह मतलब नहीं कि मैं नये विचार ग्रहण करने के लिए अपना दिमाग खुला नहीं रखूँगा या में इस तरह खुले दिमागका आदमी नहीं हूँ। मैं केवल यह कहना चाहता हूँ कि कोई भी नया विचार मुझे तभी प्रभावित कर सकेगा जब वह उतना ही ज्यादा जोरदार हो। मैंने मित्रोंके सामने निम्नलिखित मुद्दे प्रस्तुत किये हैं, जिनपर मेरे कुछ निश्चित विचार है:

(१) यदि हम एक राष्ट्रके रूपमें अपनी प्रतिष्ठा कायम करना चाहते है तो देशके राजनैतिक जीवन में ज्यादासे-ज्यादा ईमानदारी लानी होगी। इससे प्रारम्भमें ही एक यह बात निकलती है कि इस समय हमें हर हालतमें पूरी दृढ़ताके साथ सत्यके मार्गको स्वीकार करना है।

(२) स्वदेशी हमारा तात्कालिक लक्ष्य होना चाहिए। जिन्हें कौंसिलकी सदस्यता प्राप्त करनेकी आकांक्षा हो उनसे कह दिया जाये कि वे देशके उद्योगों--खासकर वस्त्र-उत्पादन--को पूरा-पूरा संरक्षण देनेकी प्रतिज्ञा करें।

(३) हिन्दी और उर्दूके मिश्रणसे निकली हिन्दुस्तानीको पारस्परिक सम्पर्कके लिए राष्ट्रभाषाके रूपमें निकट भविष्यमें स्वीकार कर लिया जाये। अतएव भावी सदस्य इम्पीरियल कौंसिल में इस तरह काम करनेको वचनबद्ध होंगे जिससे वहाँ हिन्दुस्तानीका उपयोग प्रारम्भ हो सके और प्रान्तीय कौंसिलोंमें भी वे इस तरह काम करनेको प्रतिज्ञाबद्ध होंगे जिससे वहाँ, जबतक हम राष्ट्रीय काम-काज चलानेके लिए अंग्रेजीको पूरी तरह छोड़ देने की स्थितिमें नहीं आ जाते तबतकके लिए, कमसे-कम वैकल्पिक

  1. यदि हम एक राष्ट्रके रूपमें अपनी प्रतिष्ठा कायम करना चाहते है तो देशके राजनैतिक जीवन में ज्यादासे-ज्यादा ईमानदारी लानी होगी। इससे प्रारम्भमें ही एक यह बात निकलती है कि इस समय हमें हर हालतमें पूरी दृढ़ताके साथ सत्यके मार्गको स्वीकार करना है।