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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
रानी बिटिया,

फिर शाम हो गई है और मेरा मन तुम्हारे बारेमें सोचसे भर उठा है। अपने इन विचारोंको मैं भगवान्के चरणोंमें समर्पित कर रहा हूँ जिसने तुम्हें और मुझे रचा है। वह इन विचारोंका तुम्हारे हित में जो उपयोग हो सकेगा, करेगा।

सस्नेह,

तुम्हारा,

बापू

[अंग्रेजीसे]
माई डियर चाइल्ड

७८. पत्र: मैनलीको

[१८ मार्च, १९२० के पूर्व][१]

प्रिय श्री मैनली,

पत्रके लिए धन्यवाद। अहमदाबादके बारे में आप किसी तरहका अन्देशा न करें। मिल-मजदूरोंकी देख-भाल करने के लिए कुमारी अनसूया साराभाई अहमदाबादमें रुक गई है। श्री वल्लभभाई पटेल[२] डाक-कर्मचारियोंकी देख-भाल कर रहे है।[३] वास्तव में, कल मुझे किसी ओरसे कोई गड़बड़ी होनेकी आशंका नहीं है। श्रीमती मैनलीसे मेरा यथोचित कह दें।

  1. भारतके अन्य स्थानोंकी तरह अहमदाबादमें भी १९ मार्चको, यानी खिलाफतदिवसपर, हड़ताल होनेवाली थी। इसी सिलसिलेमें बम्बईकी सी० आई० डी० पुलिसके डिप्टी कमिश्नर श्री मैनलीने गांधीजीको एक पत्र लिखा था और उनसे अहमदाबादकी स्थितिका सही अन्दाजा पाने में मदद मांगी थी। यह पत्र गांधीजीने उसी पत्रके जवाब में लिखा था। इसलिए यह अवश्य ही १९ मार्चके पूर्व कभी लिखा गया होगा।
  2. सरदार वल्लभभाई पटेल (१८७५-१९५०); उस समय अहमदावादके एक प्रमुख कांग्रेस नेता, जो बादमें स्वतंत्र भारतके प्रथम उप-प्रधान मंत्री बने।
  3. डाक-कर्मचारी उस समय हड़तालपर थे।