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प्रेस अधिनियम और श्री हॉर्निमैन


लेकिन प्रेस अधिनियमको बनाये रखने में हमें सरकारकी जिस प्रवृत्तिके दर्शन होते हैं, श्री हॉनिमैन उसीके शिकार हुए हैं। लोकमतको मुखर अभिव्यक्तिको सरकार कभी सहन नहीं कर सकती। इसलिए लोकमतको दृढ़तापूर्वक प्रकट करनेके कारण सरकार श्री हॉनिमैनको भी सहन न कर सकी। श्री हॉनिमनने लोकमतका विकास करने में जिस क्षमताका परिचय दिया है वैसी क्षमता बहुत कम लोगोंमें पाई जाती है। उन्होंने जनतामें जिस उत्साहका संचार किया है वैसा बहुत कम लोग कर सके हैं। यदि एक बार हम यह मान भी लें कि श्री हॉर्निमैनमें वैसी शक्ति नहीं है, फिर भी सामान्य न्यायकी दृष्टि से विचार करने पर भी श्री हॉर्निमैनपर कोई अपराध सिद्ध नहीं किया जा सका है। इस सबके बाद भी सरकार मनमानी करके उन्हें देशमें न आने दे, इस बातको जनता कभी सहन नहीं कर सकती। श्री हॉनिमनको पद्धति तथा मतसे मेल खानेवाले व्यक्ति ही उन्हें छुड़ानेका प्रयत्न करें, यह जरूरी बात नहीं है। उनसे मतभेद होनेके हमारे पास अनेक कारण हैं। उनकी भाषा अनेक बार आवश्यकतासे अधिक तीखी होती है। तथापि हमारे मनमें इस विषय में तनिक भी शंका नहीं है कि उन्हें हिन्दुस्तानमें प्रवेश करनेका उतना ही अधिकार होना चाहिए जितना किसी भी व्यक्तिको हो सकता है। इसलिए उक्त सभाने श्री हॉर्निमैनके सम्बन्धमें जो प्रस्ताव पास किया है, हम उसका स्वागत करते हैं। इतना ही नहीं, हम यह भी मानते हैं कि उन्हें वापस हिन्दुस्तान में लाने के निमित्त यह आन्दोलन जारी रखा जाना चाहिए तथा उनके विरुद्ध बम्बई सरकारने जो आदेश जारी किया है [१] उसे वह वापस ले ले--इसके लिए जनताको कड़े कदम उठाने चाहिए। इसी सभामें एक तीसरा प्रस्ताव[२] भी पास किया है जिसके अनुसार जिन-जिन प्रेसोंसे ज़मानतें ली गई हैं उन्हें वे वापस कर दी जानी चाहिए। हमें आशा है कि सरकार उपर्युक्त तीनों बातोंपर गौर करेगी।

[गुजरातीसे]
नवजीवन १४-३-१९२०
  1. प्रस्ताव पेश करते समय नटराजन्ने कॉमन्स सभाको कार्यवाहीका जिक्र किया जिसमें भारत-मन्त्रोने कहा था कि श्री हॉनिमैनको वापसी पूर्णत: बम्बई सरकारपर निर्भर करती है।
  2. इस प्रस्तावमें अन्य बातों के अलावा सरकारको इसके लिए धन्यवाद दिया गया था कि उनके प्रेस अधिनियम के अधीन कुछ प्रेसों और समाचारपत्रोंसे ली गई जमानतें भी पास किया गया है जिसके अनुसार जिन-जिन प्रेसोंसे जमानतें खारिज कर दी थीं, और साथ ही उससे शेष मामलोंमें भी ऐसे जमानतें खारिज कर देनेका अनुरोध किया गया था।
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