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पत्र: महादेव देसाईको

निर्णय दगे, उसे मैं प्रसन्नतापूर्वक और आदरके साथ स्वीकार कर लूँगा। मुकदमेका निर्णय मुल्तवी रखा गया।[१]

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १०-३-१९२०

६३. पत्र: महादेव देसाईको

बुधवार [१० मार्च, १९२०][२]

भाई महादेव,

लगता है माथेरानमें तुमने ऐसा नियम बनाया है कि मेरे न लिखनेपर तुम्हें भी न लिखना चाहिए। आज तो मैंने हद ही कर दी। सवेरे दो बजेसे काम करना शुरू कर दिया। इससे थकावट तो हो गई लेकिन खूब शान्ति मिली। संशोधनके बाद रिपोर्टको[३] नया रूप दे चुकने पर मैं भी, अगर मेरा हृदय टूट न गया तो वैसे ही नाचूँगा-कूदूँगा जैसे छुट्टी मिलनेपर स्कूलका बच्चा प्रसन्नतासे उछलता-कूदता है।

तुम्हारी सेहत वहाँ अच्छी रहनी ही चाहिए। दुर्गा[४] कल नवसारी गई है। मेरे घोषणापत्रको[५] पढ़ा? न पढ़ा हो तो कलके 'टाइम्स' में पढ़ना।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० ११४११) से।

  1. १२ मार्चको दिये गये निर्णयमें निष्कर्ष रूपमें माननीय न्यायमूर्ति माटिनने कहा कि "न्यायालयकी दृष्टि में आरोप सिद्ध हो गया है। बापालय प्रतिवादियोंकी कड़ी भर्सना करता है और दोनोंको भविष्यमें ऐसा कोई आचरण न करनेको आगाह करता है।"
  2. पत्रमें 'रिपोर्ट' और 'घोषणापत्र' का जिक आनेसे लगता है कि यह पत्र इसी तारीखको लिखा गया था।
  3. सम्भवत: पंजाबके उपद्रवोंसे सम्बन्धित रिपोर्ट जो २५ मार्च, १९२० को प्रकाशित हुई थी।
  4. महादेव भाईकी पत्नी।
  5. सम्भवतः खिलाफतके प्रश्नपर समाचारपत्रोंको दिया गया वक्तव्य जो ७ मार्च, १९२० को दिया गया था।