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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कर दी जाएगी। 'नवजीवन' नुकसान उठाना नहीं चाहता; किन्तु साथ ही लाभ उठाना भी उसका उद्देश्य नहीं है। इसलिए जो-कुछ बचत होगी वह [उक्त रूप में] पाठकोंको दे दी जाएगी। मुझे उम्मीद है कि पाठक इस बातको ध्यानमें रखते हुए तथा स्वयं अपनेको 'नवजीवन' का मालिक समझकर उसकी उन्नति में सहयोग देंगे।

[गुजरातीसे]
नवजीवन ७-३-१९२०

५८. टिप्पणियाँ

सर रवीन्द्रनाथ ठाकुरका आगमन

साहित्य परिषद्[१] अप्रैलके महीने में होने वाली है; सर रवीन्द्रनाथ ठाकुर उस अवसरपर उपस्थित होकर परिषद्को विभूषित करेंगे, ऐसी खबर मिल चुकी है। उनका आगमन छोटी-मोटी बात नहीं कही जा सकती। वे राजनैतिक पुरुष नहीं, महाकवि। उनकी जोड़का कोई और व्यक्ति हिन्दुस्तान में तो नहीं ही है। भाई एन्ड्रयूज स्वयं एक कवि है और वह मानते हैं कि सर रवीन्द्रनाथ ठाकुरकी जोड़का व्यक्ति सारे यूरोप में भी नहीं है।

वे जैसे कवि हैं वैसे ही तत्त्वज्ञानी और आस्थावान् व्यक्ति हैं। भाई एन्ड्रयूजने उन्हें धर्म-धुरन्धरकी उपमा प्रदान की है। कवीन्द्र रवीन्द्र भारतके एक अनमोल रत्न हैं। उनका काव्य धर्म, ज्ञान, नीति और अन्य शुद्ध तत्त्वोंसे भरपूर है। इस विषय में किसीको भी सन्देह कर सकनेकी गुंजाइश नहीं है। उनकी 'गीतांजलि' और 'साधना' अपूर्व रचनाएँ हैं। उनकी कहानियाँ बालकों-जैसे विनोदसे भरी हुई होती है और साथ ही वे ज्ञान तथा कलासे पूर्ण होती हैं।

मेरी कामना है कि गुजरातकी राजधानी उन्हें उचित सम्मान दे। ऐसे नारे लगाना जिससे कानोंके पर्दे फट जायें, शोभनीय नहीं है। व्यक्तियोंके बड़ी संख्यामें होनेके बावजूद धक्कामुक्की किये बिना हमें हमारे जो प्रिय हैं उन्हें रास्ता देना चाहिए। हम रास्तोंको अलंकृत करें तो उसपर पाश्चात्य संस्कृतिका प्रभाव न होकर पूर्वकी सभ्यताका प्रभाव होना चाहिए। वे अच्छे कवि होने के साथ ही चित्रकला और संगीतके भी पारखी हैं। इसलिए हम उनके प्रति अपना जो भाव प्रकट करना चाहें वह शान्तिमय, कलापूर्ण और सब प्रकारके आडम्बरों--भावावेश--से रहित एवं शुद्ध होना चाहिए। मैं व्यवस्थापकोंसे निवेदन करता हूँ कि वे अभीसे विचार-विमर्श करके सुव्यवस्था बनाये रखने के उपायोंको निश्चित कर लें जिससे हमारे अतिथिको कष्ट न पहुँचे और गुजरात धार्मिक उत्साहके साथ उनको ऐसा सम्मान प्रदान करे जो कवि श्री और गुजरातकी जनता दोनोंको शोभान्वित करनेवाला हो। {{left|[गुजरातीसे]

नवजीवन ७-३-१९२०

  1. गुजरात साहित्य परिषद् जिसका छछ। अधिवेशन अहमदावादमें होनेवाला था।