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तार: शौकत अलीको

कदाचित् सरकार भाई हॉनिमैनको पुनः भारत[१] जाने देने की बातको एक ओर रखकर इस कानूनको रद करने के लिए तैयार हो जाये लेकिन मुझे विश्वास है कि हिन्दुस्तानकी जनता तो इसे कदापि स्वीकार न करेगी। मेरे मन में यही प्रश्न उठा करता है कि यदि जनताके मतको अभिव्यक्त करने के लिए समाचारपत्र न हों तो सरकारको जनताकी राय कैसे मालूम हो? स्वतन्त्र समाचारपत्रोंके अभावमें सरकारको खुफिया पुलिसपर विश्वास करना पड़ता है। इससे जनता सरकारसे निवेदन करती है कि यदि खुफिया पुलिसका यह भार उसे हल्का करना हो और यदि सरकार उस जनताके सहयोगकी जरूरत मानती हो तो उसे जनमतके प्रतिनिधि स्वतन्त्र समाचारपत्रोंका मुँह बंद नहीं करना चाहिए। इस समय सरकारकी हालत उस वायुविज्ञानवेत्ता- जैसी है जो वायुमापक यन्त्रको तोड़ने के बाद हवाके दबावको जानने की चेष्टा कर रहा हो।

इस अधिनियमको रद करवानेके लिए केवल पत्रकारोंको ही नहीं बल्कि सारी जनताको पूरे जोशके साथ आन्दोलन करना चाहिए। यदि में पत्रकारोंकी परेशानियोंका विचार करने बैठूँ तो एक पूरा 'महाभारत' ही लिख जाये। कभी लोग मेरी प्रशंसा करते है, कभी मुझपर गालियोंकी बौछार करते हैं, कभी वे अधिकारियोंका पक्ष लेते हैं तथा कभी उनकी भर्त्सना करते हैं। इन सबमें से नीर-क्षीर विवेक करनेका काम पत्रकारोंका है। लोकोपयोगी प्रत्येक वस्तुपर प्रकाश डालना पत्रकारका कर्तव्य है। लेकिन जो जनताके लिए उपयोगी नहीं है ऐसे एक भी विशेषणको अपने पत्रमें दाखिल न किया जाये--यह समाचारपत्र अधिनियमको रद करवानेका सबसे अक्सीर उपाय है।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १४-३-१९२०

५५. तार: शौकत अलीको[२]

६ मार्च, १९२०

उन्नीसके[३] लिए अपील तैयार कर रहा हूँ। उसमें अपने समर्थनकी बात शर्तके साथ रख रहा हूँ। आपको मेरी सलाह है कि दृढ़ता जरूर रखिए परन्तु नरमीसे काम लीजिए। सत्यको व्यक्त कीजिए परन्तु प्रेमकी भाषामें, घृणाकी भाषामें नहीं, तभी हमारी जीत सम्भव है।

[अंग्रेजीसे]

बॉम्बे सीकेट एस्ट्रैक्ट्स, १९२०

  1. सभामें के० नटराजन्ने एक प्रस्ताव पेश किया था जिसमें बम्बई सरकारसे श्री हॉनिमैनको वापस देशमें आने देनेका अनुरोध किया गया था।
  2. शौकत अली २८-२९ फरवरीको हुए बंगाल प्रान्तीय खिलाफत सम्मेलनके सिलसिलेमें कलकत्ता गये हुए थे।
  3. १९ मार्च, खिलाफत दिवस।