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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


हूँ कि यदि हम दिन-प्रतिदिन अपनी शपथका पालन करते रहेंगे तो हमारे आसपासका वातावरण शुद्ध हो जायेगा । और जिन लोगोंका हमसे शुद्ध उद्देश्यके कारण मतभेद है-मेरा यह पक्का ख्याल है कि ऐसा ही है - वे यह समझने लग जायेंगे कि उनकी आशंका निर्मूल थी । हिंसा-मार्गके समर्थक कहीं भी हों, उनकी समझमें यह आने लगेगा कि सुधारोंको प्राप्त करनेके लिए गुप्त अथवा प्रकट हिंसाकी अपेक्षा सत्याग्रह कहीं अधिक समर्थ साधन है । उनको यह भी भासित हो जायेगा कि सत्याग्रहमें उनकी अपार कार्य-शक्तिका उपयोग करनेके लिए काफी काम मौजूद है। यदि हमारे कामोंकी बदौलत हिंसा - नीति प्रत्यक्ष रूपसे कम हो जायेगी. भले ही वह पूरी तौरपर समाप्त न हो - तो सरकारके पास अपनी कार्रवाइयोंके पक्षमें कहनेको कुछ भी शेष न रहेगा। इसलिए, मैं आशा करता हूँ कि सत्याग्रह - सभाओंमें हम 'शर्म शर्म' के नारे नहीं लगायेंगे और सरकारके खिलाफ अथवा अपने उन देशवासियों के विरुद्ध जो हमसे मतभेद रखते हैं और जिनमें से कुछ लोग देशके काममें यथाशक्ति योग देते आये हैं ऐसे शब्दोंका प्रयोग नहीं करेंगे जिनसे हमारी असहिष्णुता या अधीरता प्रकट हो ।

[ अंग्रेजीसे ]
लीडर, १३-३-१९१९

१३८. सत्याग्रह सभाकी नियमावली[१]

सत्याग्रह सभाकी नियमावलीका मसविदा नीचे दिया जा रहा है ।

अध्याय १ : परिचयात्मक

१. इस संघका नाम सत्याग्रह सभा होगा ।

२. इसका प्रधान कार्यालय बम्बई में होगा ।

३. इस सभाका उद्देश्य उन विधेयकोंका, जिनको जनता रौलट कानूनों (१९१९ के अधिनियम १ और २) के नामसे जानती है, विरोध तबतक करते रहना है जबतक वे हटा न दिये जायें। कार्य-प्रणाली यह होगी - (क) प्रतिज्ञापत्र,[२]जो यहाँ अनुसूची "अ" के रूपमें संलग्न है, की शर्तोंके अनुसार सत्याग्रह किया जाये, और साथ ही अन्य ऐसे सभी वैध साधनोंका सहारा लिया जाये जो सत्याग्रहके प्रतिकूल नहीं बैठते ।

४. सभाका कार्य सभाके सदस्यों तथा अन्य लोगों द्वारा स्वेच्छासे दिये गये चंदेसे चलाया जायेगा ।

५. नियम ६ के अन्तर्गत कही गई शर्तको पूरा करनेवाला कोई भी व्यक्ति सभाका सदस्य बन सकता है ।

 
  1. १. कदाचित् यह मसविदा गांधीजीने तैयार किया था ।
  2. २. देखिए "सत्याग्रह प्रतिज्ञा" २४-२-१९१९ ।