तुम्हारी तबीयत ठीक हो गई होगी।
तुम्हारा,
मोहनदास करमचन्द गांधी
वकील
सदर
गांधीजीके स्वाक्षरों में पोस्टकार्डपर लिखित मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ३०३०) से।
सौजन्य : नारणदास गांधी
१४. भाषण : प्रथम गुजरात राजनीतिक परिषद् में[१]
[गोधरा
नवम्बर ३, १९१७
गांधीजी परिषद्के मण्डपमें ठीक समयपर आ गये थे किन्तु लोकमान्य तिलक[२] ४५ मिनट देरसे आये इसलिए कार्यका आरम्भ भी किंचित् देरसे हुआ। अपना भाषण पढ़नेसे पहले गांधीजीने इस बातका उल्लेख करते हुए कहा:
इस देरके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूँ। हम स्वराज्यकी माँग करते हैं। अगर उससे सम्बन्धित परिषद् में पौन घंटेकी देर चिन्त्य नहीं मानी जाती तो स्वराज्यकी प्राप्तिमें भी पौन घंटेकी देर हमें खटकनी नहीं चाहिए।
इसके बाद गांधीजीने अपना भाषण पढ़ा:
मुझे आपने जो उच्च पद प्रदान किया है उसके लिए मैं आप सबका आभार मानता हूँ। भारतके राजनीतिक क्षेत्रमें मैं अभी ढाई वर्षका बच्चा हूँ।[३] मैं दक्षिण आफ्रिकाके अपने अनुभवसे यहाँ काम नहीं कर सकता। ऐसी स्थितिमें इस पदको स्वीकार करना कितने ही अंशमें उद्दण्डता समझी जा सकती है, तो भी आप लोगोंके अपार प्रेमके कारण मैंने यह पद स्वीकार किया है।
मैं अपनी जिम्मेदारी समझता हूँ। यह परिषद् गुजरातमें पहली है। समस्त देशके लिए यह समय बड़ा नाजुक है। इस समय साम्राज्यपर जैसी विपत्ति आई है वैसी