१५. यदि किसी प्रान्तीय विधान परिषद् या शाही विधान परिषद् द्वारा पास किये गये किसी विधेयकपर सम्राट् अपना निषेधाधिकार प्रयुक्त करना चाहें तो इस अधिकारका प्रयोग विधेयक पास होनेकी तारीखसे बारह महीनेके भीतर किया जाना चाहिए, और सम्बन्धित विधान परिषद्को जिस दिन इस निषेधाज्ञाकी सूचना मिलेगी उसी दिनसे उक्त विधेयक प्रभावहीन हो जायेगा।
१६. भारत-सरकार द्वारा सैनिक मामलोंके, तथा भारतके वैदेशिक और राजनीतिक मामलोंके संचालनमें, जिसमें युद्ध घोषित करने, शान्ति घोषित करने और सन्धि करनेका अधिकार शामिल होगा, शाही विधान परिषद्को हस्तक्षेप करने की सत्ता नहीं होगी।
४―भारत सरकार
१. गवर्नर जनरल भारत-सरकारका प्रधान होगा।
२. उसकी एक कार्यकारिणी परिषद् होगी, जिसके आधे सदस्य भारतीय होंगे।
३. परिषद्के भारतीयोंका चुनाव केन्द्रीय विधान परिषद् के निर्वाचित सदस्य करेंगे।
४. साधारणतया भारतीय सिविल सर्विसके सदस्योंको गवर्नर जनरलकी कार्य-कारिणी परिषद् में नियुक्त नहीं किया जायेगा।
५. केन्द्रीय नागरिक सेवाओंमें सारी नियुक्तियाँ करनेका अधिकार इस योजनाके अनुसार स्थापित होनेवाली भारतीय सरकारको होगा, लेकिन शाही विधान परिषद् द्वारा बनाये गये किन्हीं कानूनोंके भीतर रहते हुए मौजूदा हितोंका ऐसी नियुक्तियोंमें ध्यान रखा जायेगा।
६. भारत-सरकार साधारणतया किसी प्रान्तके आन्तरिक मामलोंमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। जो अधिकार विशिष्ट रूपसे प्रान्तीय सरकारोंको न दिये गये हों वे भारत-सरकारमें निहित माने जायेंगे। भारत सरकारकी सत्ता साधारणतया प्रान्तीय सरकारोंके ऊपर सर्वसामान्य निरीक्षण और देखभाल रखने तक सीमित होगी।
७. विधि-निर्माण और प्रशासनके मामलोंमें इस योजनाके अनुसार स्थापित होनेवाली भारत-सरकार भारत मन्त्रीके हस्तक्षेपसे यथासम्भव मुक्त होगी।
८. भारत-सरकारके आय-व्यय लेखा-परीक्षाकी एक स्वतन्त्र पद्धति स्थापित की जाये।
५ ―सपरिषद्―भारत मन्त्री
१. भारत मन्त्रीकी कार्यकारिणी परिषद् समाप्त कर दी जाये।
२. भारत मन्त्रीका वेतन ब्रिटेनकी सरकार द्वारा दिया जाना चाहिए।
३. भारत मन्त्रीका भारत-सरकारके मामलेमें वही दर्जा और अधिकार हो जो स्वशासित डोमिनियनोंकी सरकारोंके मामलेमें उपनिवेश मन्त्रीको प्राप्त है।
४. भारत मन्त्रीकी सहायता के लिए दो स्थायी अवर सचिव [अन्डर सेक्रेटरी] होने चाहिए। जिनमें से एक सदैव भारतमें रहे।