१७९. भाषण : अहमदाबादके मिल-मजदूरोंकी सभामें
[ मार्च १७, १९१८]
मिल-मालिकोंने आकर मुझसे कहा : "आपकी खातिर हम ३५ प्रतिशत दे देंगे । लेकिन उनका मेरी खातिर ३५ प्रतिशत देना मुझे तलवारकी धारकी तरह खटकता है। मैं इस चीजको जानता था, फिर भी मैं अपनी प्रतिज्ञा नहीं छोड़ सका, क्योंकि मैंने दूसरी तरफ यह सोचा कि १०,००० आदमियोंका अपनी प्रतिज्ञासे मुँह मोड़ना एक ईश्वरीय प्रकोप ही होगा। मेरे लिए तो यह बहुत ही शरमकी बात है कि मेरी खातिर आपको ३५ प्रतिशत मिले ।
एक धर्मयुद्ध
१८०. पत्र: जमनालाल बजाजको
साबरमती
माघ कृष्ण [ मार्च १८, १९१८[१]से पूर्व ]
आपका पत्र मीला है। मेरा नागपुर आनेका मौकुफ रहा है। इस वखत तो यहाँ का कार्य मेरी सब क्षण ले लेता है। मजदूरोंकी हड़ताल चल रही है और खेडामें किसानोंपर सरकारका जुल्म चल रहा है। दोनों कार्य भारी हैं ।
आपका
मोहनदास गांधी
गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल हिन्दी पत्र ( जी० एन० २८३९) की फोटो-नकलसे ।
- ↑ अहमदाबादके मिल-मजदूरोंकी हड़ताल इस दिन समाप्त हुई थी ।