वहीं हमें भी दे। इसी भावसे आप उनका व्याख्यान शान्तिपूर्वक सुनियेगा । जो अंग्रेजी नहीं समझते वे लोग कल सुबह इस भाषणका अनुवाद पढ़ सकते हैं।
सभाकी कार्रवाई समाप्त करते हुए श्री गांधीने कहा कि श्रीमती बेसेंटके भाषणका गुजराती में अनुवाद किया जाना चाहिए और उस अनुवादकी प्रतियाँ लोगोंमें वितरित की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यह भाषण ऐतिहासिक महत्त्व रखता है । तत्पश्चात् गांधीजीने उन लोगोंके नाम पढ़ सुनाये जिन्होंने श्रीमती बेसेंटको पैसोंकी थैलियाँ भेंट की थीं और उन्हें धन्यवाद दिया । अन्तमें उन्होंने सबको श्रीमती बेसेंट के भाषणपर मनन करनेकी सलाह दी ।
प्रजाबन्धु, १७-३-१९१८
१७१. भाषण : अहमदाबाद के मिल मजदूरोंकी सभा में
[ मार्च १५, १९१८ से पूर्व ][१]
आप यन्त्रोंको "निरे ढाँचे"[२]कहकर उनका मज़ाक उड़ाते हैं, यह उचित नहीं है । बेचारे यन्त्रोंने आपका कोई नुकसान नहीं किया है। अभी कल आप उन्हींकी मदद से अपनी रोजी कमाते थे । इसीलिए अपने कवियोंसे में निवेदन करूँगा कि वे कड़वी बातें न कहें; मालिकोंपर किसी तरहके आक्षेप न करें। यह कहने में कोई सार नहीं कि हमारी वजहसे मालिक मोटरोंमें सैर करते हैं। ऐसी बातोंसे हमारी कीमत घटती है । मैं तो यह कहता हूँ कि सम्राट् जॉर्ज भी हमारे प्रतापसे अपना राज्य चलाते हैं। लेकिन इन बातों से हमारी कोई कीमत नहीं रहती । यह कहकर कि अमुक आदमी बुरा है, हम अच्छे नहीं बन जाते। बुरेकी बुराईको देखनेवाला ऊपर बैठा हुआ है । वह उसे सजा देता है । हम न्याय करनेवाले होते कौन हैं ? हम तो सिर्फ यही कहें कि मिल- मालिक हमें ३५ प्रतिशत भत्ता नहीं देते, यह उनकी भूल है ।[३]
एक धर्मयुद्ध