पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/२२९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९९
पत्र : गो० कृ० देवधरको

देंगे। मैं जल्दी इसलिए कर रहा हूँ कि मैंने, संभव हो तो, अपने इस सलाह-मशविरेका परिणाम, अधिकसे-अधिक बुधवार तक मजदूरोंको बता देनेके लिए कहा है।

मो० क० गांधी

[ गुजरातीसे ]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४

१२६. तार : ए० एच० वेस्टको[१]

[ अहमदाबाद
फरवरी २४, १९१८ के आसपास ][२]

आप अपनी योजनापर अमल कर सकते हैं। शुभ कामना ।

वेस्टके टाइप किये हुए मूल अंग्रेजी पत्र (जी०एन० ७६०५) की फोटो-नकलसे ।


१२७. पत्र : गो० कृ० देवधरको

नडियाद
फरवरी २६, १९१८

प्रिय देवधर,[३]

आपके दोनों पत्र और रिपोर्ट मुझे मिल गये हैं। मेरा निश्चित विचार है कि आपने अनजाने में संघर्षको नुकसान पहुँचाया है और अपने-आपको श्री प्रैटके हाथका खिलौना बन जाने दिया है। आपका यह कथन बिलकुल ही अपर्याप्त जानकारीपर आधारित है कि किसानोंने फसलका अनुमान कम लगाया है। अमृतलाल ठक्कर,[४]

जिन्होंने तफसीलमें इस प्रश्नकी जाँच की है, ऐसा नहीं मानते कि साढ़े तीन आनेका

 
  1. १. गांधीजीने १० दिसम्बर, १९१७ के पत्रमें वेस्टको आजीविका के लिए खेतीका सहारा लेनेका सुझाव दिया था, जिसके उत्तरमें उन्होंने तार द्वारा सूचित किया कि खेती करना उनके लिए असम्भव है, किन्तु साथ ही उन्होंने छपाई सम्बन्धी कुछ काम करनेकी इच्छा बताते हुए गांधीजीसे मुद्रण-साधनोंकी सहायताकी याचना की थी। उसीके उत्तरमें गांधीजीने उपर्युक्त तार दिया था ।
  2. मार्च ३, १९१८ के अपने पत्र में इस तारको उद्धृत करते हुए वेस्टने गांधीजीको सूचित किया था कि उन्हें यह एक सप्ताह पूर्व मिल गया था ।
  3. गोपाल कृष्ण देवधर (१८७९-१९३५); पूनामें महिला समाज सेवा संगठन, सेवा-सदन और भारत सेवक समाज [ सर्वेन्टस ऑफ इंडिया सोसाइटी ] के एक प्रमुख कार्यकर्ता ।
  4. (१८६९-१९५१); ठक्कर बापाके नामसे प्रसिद्ध; आपने अपना सारा जीवन हरिजन और आदि- वासियों के उत्थानमें लगा दिया था ।