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१२२. भाषण : भगिनी समाज, बम्बईमें [१]

[ फरवरी २०, १९१८]

भगिनी समाजके प्यारे भाइयो, और बहनो

भगिनी समाजके इस वार्षिक सम्मेलनमें मुझे अध्यक्ष पद देनेके लिए मैं आप सब बहनोंका आभार मानता हूँ। मेरी हार्दिक इच्छा तो यह है कि आप अपने कार्यों में पुरुषोंकी सहायता अथवा सलाह तो भले ही लें, परन्तु अध्यक्षका पद तो किसी स्त्रीको ही देना उचित है । इस संस्थाका सदुद्देश्य स्त्री जातिकी उन्नति करना है। जैसे दूसरेकी तपस्या से हम स्वर्ग नहीं जा सकते वैसे ही पुरुषोंके द्वारा स्त्री जातिकी उन्नति नहीं की जा सकती । यहाँ मेरे कहनेका आशय यह नहीं है कि पुरुष स्त्रियोंकी उन्नतिके इच्छुक नहीं हैं अथवा स्त्रियां पुरुषोंकी सहायतासे उन्नति न करें; मैं तो आपके सम्मुख यह सिद्धान्त प्रस्तुत करना चाहता हूँ कि कोई भी व्यक्ति या जाति अपनी शक्तिसे ही उन्नति कर सकती है। यह सिद्धान्त कोई नया सिद्धान्त नहीं है, किन्तु हम प्रायः इसे कार्यान्वित करनेमें चूक जाते हैं।

इस समय यह संस्था बहुत-कुछ भाई करसनदास चितलियाके उत्साहसे चल रही है। मैं उस समयको आया देखना चाहता हूँ कि जब आप बहिनोंमें से कोई भाई चितलियाका स्थान ग्रहण कर लेगी और जब वे इस संस्थासे हटकर अन्य कार्योंके लिए मुक्त हो सकेंगे । जिसने स्त्री-सेवाको ही धर्म मान लिया है वह तो इस दिशामें दूसरा कार्य भी ढूंढ लेगा । किन्तु इस संस्थाका सच्चा स्वरूप तो तभी प्रकट होगा जब यह संस्था अपने अधिकारियोंका चुनाव स्त्रीवर्गमें से ही करेगी और जब उसका कार्य जितना अच्छा इस समय है उससे भी अधिक अच्छा होगा। जैसा कि आप जानती हैं, मैं स्त्रियों और पुरुषों—दोनोंके निकट सम्पर्कमें रहता हूँ; और यह बात मेरी समझमें आ गयी है कि स्त्रियोंकी सेवाके कार्यमें जबतक स्त्रियाँ न आयें तबतक मैं उस कार्यको नहीं चला सकता । इसीलिए मुझे जब-जब अवसर मिलता है तब-तब मैं पुकार-पुकारकर कहता हूँ कि जबतक भारतमें स्त्रियाँ तनिक भी दबी हुई रहेंगी, अथवा उन्हें पुरुषोंकी अपेक्षा कम अधिकार प्राप्त होंगे तबतक भारतका सच्चा उद्धार न होगा। इसलिए यदि यह संस्था इस प्रकारसे अपने उद्देश्यको पूरा कर सकेगी तो उससे भारतके गौरवमें वृद्धि होगी।

परन्तु हमें यह समझना आवश्यक है कि स्त्रियोंकी उन्नतिका अर्थ क्या है। उनकी उन्नतिका प्रश्न तभी उठता है जब उनकी अवनति हुई हो । अब यदि उनकी अवनति हुई है तो हमें यह सोचना चाहिए कि उस अवनतिका कारण क्या है और वह किस प्रकार दूर किया जा सकता है। हमारा प्रथम कर्त्तव्य यह है कि हम इन सब मुद्दोंपर

१. बम्बईकी महिला कल्याण संस्था भगिनी-समाजका वार्षिक सम्मेलन बुधवारको सायं ४ बजे मोरारजी गोकुलदास भवनमें हुआ था । गांधीजीने इस समारोह की अध्यक्षता की थी और छात्राओं को पुरस्कार वितरित करनेके बाद 'स्त्री-शिक्षा' पर यह भाषण दिया था ।

Gandhi Heritage Porta

  1. बम्बईकी महिला कल्याण संस्था भगिनी-समाजका वार्षिक सम्मेलन बुधवारको सायं ४ बजे मोरारजी गोकुलदास भवनमें हुआ था । गांधीजीने इस समारोह की अध्यक्षता की थी और छात्राओं को पुरस्कार वितरित करनेके बाद 'स्त्री-शिक्षा' पर यह भाषण दिया था ।