पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/१८२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१५२
सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

एक घोषणा निकालकर अपना निर्णय[१] किसानोंको बता दिया है। हम आदरपूर्वक कहना चाहते हैं कि उपर्युक्त घोषणामें किसानोंको जो आश्वासन दिये गये हैं उनको कार्यरूप देनेके लिए विधेयक प्रस्तुत किया गया है। इसलिए विधेयकमें किसी महत्त्वपूर्ण मामले में परिवर्तनकी कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसी स्थितिमें अखबारोंमें जो कटुता-भरे पत्र छप रहे हैं तथा सम्बन्धित पक्षों द्वारा जो भाँति-भाँतिकी अफवाहें फैलाई जा रही हैं उनसे किसान क्षुब्ध हो रहे हैं। 'तुरत दान महा कल्यान' यह कहावत इस मामले में बहुत सटीक बैठती है। विधेयकको पास करने में अनुचित विलम्ब करनेसे भारी अनर्थ हो सकता है। इसलिए, मैं अनुरोध करता हूँ कि विधेयक जितनी जल्दी हो सके प्रान्तकी कानून-संहितामें आ जाना चाहिए।

अब मैं इन उक्त पत्रोंकी जाँचपर आता हूँ। सबसे पहले मैं चम्पारनके जमींदारों के स्मृतिपत्रको लूँगा। साधारणत: यह ऐसी गलतबयानियोंसे भरा है, जिनके कारण यह तनिक भी महत्त्व देने योग्य नहीं रह जाता। इसमें कहा गया है कि कृषीय जाँच-समिति असंदिग्ध रूपसे एक कृत्रिम आन्दोलनको बन्द करने के लिए नियुक्त की गई थी। तथ्य यह है कि समिति जमींदारोंके उस आन्दोलनके फलस्वरूप नियुक्त की गई थी, जिसे उन्होंने इस आशासे आरम्भ किया था कि उससे किसानोंका आन्दोलन बन्द हो जायेगा या दबा दिया जायेगा। इसके समर्थनमें मैं 'पायनियर' से, जो देशमें आंग्ल भारतीयोंके विचारोंको व्यक्त करनेवाला एक प्रमुख पत्र है, एक उद्धरण प्रस्तुत करता हूँ। उसने १९१७ की मईके मध्य एक अंकमें लिखा था :

हमें लगता है कि बिहार और उड़ीसा सरकार, नीलकी खेतीके जिलोंमें जमींदारों और किसानोंके मतभेदोंकी जाँच करनेके लिए तुरन्त एक आयोग नियुक्त कर देगी तो ठीक होगा। यह समझना कठिन है कि श्री गांधीकी जाँचसे क्या लाभ हो सकता है। किन्तु एक ऐसे आयोग द्वारा, जिसमें एक गैर-सरकारी तत्त्व रह सके, की गई निष्पक्ष जाँचसे दोनों पक्षोंको अपना-अपना मामला पेश करनेका अच्छा अवसर प्राप्त होगा और इसके परिणामस्वरूप अवश्य ही स्थायी शान्ति हो जायेगी।

और जूनके प्रारम्भमें बिहार और उड़ीसा सरकारने चम्पारन कृषीय जाँच-समिति नियुक्त करनेका निर्णय किया है। यूरोपीय संघके मन्त्रीने[२] ८ जून, १९१७ को बिहार और उड़ीसा सरकारके मुख्य सचिवको एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था :

मेरी परिषद्को यह देखकर बहुत सन्तोष होता है कि आपकी सरकारने बिहार और उड़ीसा प्रान्तमें जमींदारों तथा किसानोंके आपसी सम्बन्धोंकी जाँचके लिए एक समिति नियुक्त करनेका निर्णय किया है।
 
  1. ये आदेश सरकारके अक्तूबर १८, १९१७ के उस प्रस्तावमें सन्निहित किये गये थे, जिसे जाँच समितिकी रिपोर्टके साथ-साथ बिहार और उड़ीसा 'गज़ट' में तथा रैयतके लिए प्रान्तीय भाषामें छापा गया था।
  2. एलेक मार्श।