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भाषण: वाई०एम० सी० ए०, मद्रासमें

बिना हम उस सभ्यताको ठुकरा दें (करतल ध्वनि) । मैंने अनेक व्याख्यानोंमें कहा है कि ब्रिटिश जाति हमारे साथ है। जिन कारणोंसे वह जाति हमारे साथ है, मैं उन कारणोंका विवेचन अभी नहीं करना चाहता; लेकिन मेरा विश्वास है कि यदि भारत इस महान् जातिके द्वारा संसारको एक सन्देश, शारीरिक शक्तिका सन्देश नहीं बल्कि प्रेम-बलका सन्देश, देना चाहता है तो वह ऐसा केवल उन सन्त-महात्माओंकी परम्प- राओंका पालन करके ही कर सकता है, जिनकी अभी सुयोग्य अध्यक्ष महोदयने चर्चा की है। और तब आप लोगोंके लिए वह सुअवसर आयेगा जब आप खून बहा कर नहीं, बल्कि शुद्ध आत्मिक श्रेष्ठताके बलपर अपने विजेताओंपर भी विजय प्राप्त कर सकें। जब मैं यह सोचता हूँ कि भारतमें आज क्या हो रहा है तब मुझे आवश्यक लगता है कि हम राजनीतिक हत्याओं और राजनीतिक डकैतियोंके सम्बन्धमें अपने विचारोंके बारेमें कुछ कहें। मुझे तो लगता है कि ये सब केवल विदेशसे आई हुई बातें हैं और इस देशमें जड़ नहीं पकड़ सकतीं। लेकिन आप विद्यार्थियोंको इस सम्बन्धमें सावधान रहना चाहिए कि मानसिक अथवा नैतिक दृष्टिसे आप इस प्रकारकी आतंक- पूर्ण कार्रवाइयोंका भूलसे भी समर्थन न कर डालें। एक सत्याग्रहीकी हैसियतसे मैं इसके बदलेमें आपको एक दूसरी बहुत कामकी बात बतलाऊँगा । आप अपने आपको आतंकित कीजिए; अपने अन्तर्मनको टटोलिए; जहाँ-कहीं आपको अत्याचार दिखाई पड़े वहाँ आप समस्त उपायोंसे उसका विरोध कीजिए; आपकी स्वतन्त्रता पर कोई हाथ डाले तो आप हर तरहसे उसका विरोध कीजिए। लेकिन अपने उत्पीड़कका खून बहा कर ऐसा मत कीजिए। हमारा धर्म हमें ऐसी शिक्षा नहीं देता। हमारे धर्मका आधार अहिंसा है, जो कार्य-रूपमें प्यारके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। और जब मैं प्यार शब्द कहता हूँ तो उसका मतलब सिर्फ अपने पड़ोसीके प्रति अपने मित्रोंके प्रति प्यार ही नहीं होता। उस शब्दके भीतर तो वे भी आ जाते हैं जो आपके शत्रु हैं।

इसी सम्बन्धमें मैं एक बात और कहूँगा । मेरा विचार है, यदि हमें सत्य और अहिंसाका पालन करना है तो हमें अविलम्ब निर्भयताका भी पालन करना पड़ेगा । यदि हमारे शासक कोई ऐसा काम करते हों जो हमारी समझमें अनुचित हो और यदि हम यह समझते हों कि उन्हें अपना मत बतला देना हमारा कर्त्तव्य है तो चाहे वह राजद्रोह ही क्यों न समझा जाये, मैं आप लोगोंसे आग्रहपूर्वक कहता हूँ कि आप वह राजद्रोहपूर्ण बात भी कह डालिए; किन्तु ऐसा आप अपने-आपको खतरेमें डालकर ही कर पायेंगे। और आपको उसके परिणाम भुगतनेके लिए तैयार रहना चाहिए। जब आप लोग परिणाम भुगतनेके लिए तैयार हो जायेंगे और न्यायका मार्ग नहीं छोड़ेंगे तब मैं समझता हूँ कि आप लोग इस बातके सच्चे अधिकारी भी हो जायेंगे कि सरकार आपकी सम्मति सुने।

अधिकार और कर्तव्य

मैं ब्रिटिश सरकारके साथ इसलिए हूँ कि, मेरा खयाल है, मैं ब्रिटिश साम्राज्यके प्रत्येक प्रजाजनके साथ बराबरीका साझेदार होनेका दावा कर सकता हूँ। मैं आज भी बराबरीका साझेदार होनेका दावा करता हूँ। मैं किसी अधीनस्थ जातिका नहीं हूँ।