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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

गांधीजीने मैक्फर्सनको लिखा कि बेतियामें रैयतसे बयान लिया जाना बन्द कर दिया गया है।
जून १२: मोतीहारी गये। बयानोंका लिया जाना बन्द कर दिया गया।
जून १४: बिहार बागान मालिक संघके अवैतनिक मन्त्रीने मैक्फर्सनको पत्र लिखकर समितिमें गांधीजीको शामिल करनेपर विरोध प्रकट किया।
जून १६: मद्रास सरकारने श्रीमती बेसेंट, जी० एस० अरुण्डेल और बी० पी० वाडियापर नजरबन्दी आदेश जारी कर दिया।
जून १७: गांधीजी बेतियासे अहमदाबादके लिए रवाना हुए। वापस लौट आये।
जून २८: गांधीजी भारत सेवक समाजके मंत्री डॉ० देवके साथ अहमदाबादसे मोतीहारी लौटे।
जून २९: हेकॉकको पत्र लिखा और उसमें गाँववालोंकी सहायतार्थ डॉ० देव तथा स्वयंसेवकोंको भेजनेका प्रस्ताव रखा।
जून ३०: दादाभाई नौरोजीका निधन।
‘पायनियर’ में पत्र लिखकर गांधीजीने अपनी वेशभूषाकी आलोचनाका उत्तर दिया। जे० बी० पेटिटको श्रीमती बेसेंट तथा अन्य लोगोंकी नजरबन्दीके बारेमें पत्र लिखा और निषेधके बावजूद गाँवोंमें जोरदार प्रचार कार्य करनेकी सलाह दी।
जुलाई: बिहार सरकारने विज्ञप्ति निकालकर सूचना दी कि जाँच-कार्य जुलाईके मध्यसे आरम्भ होगा।
जुलाई ७: पटनासे गांधीजीने वाइसरॉयके निजी सचिवको पत्र लिखा जिसमें श्रीमती बेसेंटकी नजरबन्दीको “भयंकर भूल” बताया।
जुलाई ९: राजा हरिहरप्रसाद सिंह द्वारा अस्वस्थताके कारण त्याग-पत्र देनेपर उनके स्थानपर राजा कीर्त्यानन्द सिंह चम्पारन जाँच-समितिके सदस्य नामजद किये गये।
जुलाई ११: चम्पारन जाँच-समितिने अपनी विधि और जाँचके विषय निर्धारित करनेके लिए आरम्भिक बैठक की।
जुलाई १२: हाउस ऑफ कॉमन्स सभामें ई० एस० माँटेग्यु (भूतपूर्व भारत उपमन्त्री) ने भारत सरकारके वर्तमान गठनकी कड़ी आलोचना की।
जुलाई १३: गांधीजीने एक निजी परिपत्रमें सत्याग्रह आश्रमकी गतिविधियों और खर्चेका तखमीना बताते हुए सहायताकी अपील की।
जुलाई १७: ई० एस० मॉंटेग्यु भारत मन्त्री नियुक्त हुए।
चम्पारन जाँच-समितिकी बैठक बेतियामें आरम्भ हुई।
जुलाई १९: चम्पारन जाँच समितिकी बैठक बेतियामें हुई।
जुलाई २५: ब्रिटिश इंडिया स्टीम नेवीगेशन सर्विसके जहाजोंमें डेकपर यात्रा करनेवाले मुसाफिरोंके प्रति बरती जानेवाली उपेक्षाके सिलसिलेमें गांधीजीने रंगूनकी यात्रीकष्ट समितिके सचिवको पत्र लिखा। बिहार बागान मालिक संघने चम्पारन जाँच-समितिको एक लिखित वक्तव्य दिया।