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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
मई २२: गांधीजीने ढोकरहा अग्निकाण्डके बारेमें हेकॉकको एक और वक्तव्य भेजा। मॉर्सहेडको लिखे अपने पत्रमें हेकॉकने ढोकरहा अग्निकाण्डकी जिम्मेदारी गांधीजीकी उपस्थितिपर डालते हुए कहा कि उनका जाँच-कार्य जिलेकी शान्तिके लिए बहुत बड़ा खतरा है।
मई २४: वाइसरॉयने अपनी कार्यकारिणी परिषद्से परामर्श किया। बादमें भारत सरकारके गृह-विभागने मैक्फर्सनको तार भेजकर एक शक्तिसम्पन्न जाँच समिति नियुक्त करनेकी सलाह दी।
मई२६: गांधीजीने एस्थर फैरिंगको पत्र लिखा जिसमें चम्पारनकी रैयतकी दशाकी तुलना गुलामोंसे की।
मई २७: सपरिषद लेफ्टिनेंट गवर्नरने गांधीजीको ४ जूनको रांची बुलाया। मैक्फर्सनने भारत सरकारको लिखा कि प्रस्तावित समितिमें गांधीजी रैयतके प्रतिनिधिकी हैसियतसे सदस्य नियुक्त किये जायें।
मई २९ या उससे पूर्व: समाचारपत्रोंको दिये एक वक्तव्यमें कहा कि निश्चित मुद्दोंके बारेमें जाँच करनेसे वर्तमान स्थितिमें सुधार हो जायेगा, बशर्ते कि जाने-माने अन्यायोंको तुरन्त समाप्त कर दिया जाये।
मई ३०: मैक्फर्सनको पत्र लिखकर लेफ्टिनेंट गवर्नरसे मिलनेकी स्वीकृति ली, और अपने जाँच-कार्यमें बागान मालिकों द्वारा डाली जानेवाली अड़चनोंकी शिकायत की।
मई १९१५: ब्रिटिश गायना, ट्रिनीडाड, जमैका और फीजीमें एक नई सहायता प्राप्त प्रवास-योजनापर विचार करनेके लिए लन्दनमें अन्तविभागीय सम्मेलन आयोजित हुआ।
जून१: बागान मालिकोंने सरकारको पत्र लिखकर माँग की कि गांधीजीको चम्पारनसे निकाल दिया जाये।
जून २: भारत सरकारके गृह-विभागने बिहार सरकारको लिखा कि एक महीनेके भीतर समिति नियुक्त करके जाँच-कार्य आरम्भ कर दिया जाये।

गांधीजी पटना पहुँचे। मालवीयजी, राजेन्द्रप्रसाद तथा अन्य लोगोंसे मिले।

रांचीके लिए रवाना।
जून ४: गांधीजी राँचीमें लेफ्टिनेंट गवर्नरसे मिले।
महाराजा दरभंगा (सदस्य, कार्यकारिणी-परिषद) को जाँचके बारेमें अपनी शर्त लिख भेजीं।
जून ५: लेफ्टिनेंट गवर्नरसे बातचीत; कार्यकारिणी-परिषदके सदस्योंसे मिले। पटनाके लिए रवाना।
जून ७: पटना पहुँचे। मालवीयजीसे सलाह करने बाद सरकारी जाँच समितिकी सदस्यताकी स्वीकृति भेज दी।
जून ८: यूरोपीय संघके मंत्रीने गांधीजीको चम्पारनसे निकाल देनेकी माँग की। गांधीजी बेतिया पहुँचे।
जून १०: सरकारी प्रस्तावमें चम्पारन जाँच समितिकी जाँचके विषय और सदस्योंके नामोंकी घोषणा की गई।