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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

बेतियाके सब डिवीजनल अफसरको पत्र लिखकर इस आरोपका खण्डन किया कि वे उसके अधिकारोंमें हस्तक्षेप कर रहे हैं।
अप्रैल: लन्दनमें साम्राज्यीय युद्ध सम्मेलनकी बैठक। भारतकी ओरसे सर एस० पी० सिन्हा, महाराजा बीकानेर और सर जेम्स मेस्टनने भाग लिया। भारत मंत्रीने भविष्यमें सभी साम्राज्यीय सम्मेलनोंमें भारतको प्रतिनिधित्व देनेके निर्णयकी घोषणा की।
मई १: मॉर्सहेडने बिहार और उड़ीसा प्रान्तके मुख्य सचिवको पत्र लिखकर एक जाँच-कमीशन नियुक्त करनेकी सिफारिश की। गांधीजी मोतीहारी गये।
तुरकौलिया (चम्पारन) की नील कम्पनीके एक बँगलेमें आगजनीकी घटना।
मई२: सरकारने समाचारपत्रोंमें प्रकाशित इस रिपोर्टका खण्डन किया कि गांधीजीके ऊपरसे मुकदमा उठानेकी आज्ञा भारत सरकारने दी थी।
मई५: बिहार बागान मालिक संघके निर्देशकोंने गांधीजीके जाँच-कार्यके ढंगके विरोधमें एक जोरदार प्रस्ताव पास किया।
मई९: चम्पारनसे पटना पहुँचनेपर जनता द्वारा गांधीजीका शानदार स्वागत। बिहार और उड़ीसा प्रान्त-कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य, डब्ल्यू० मॉड, मॉर्सहेड, हेकॉक, लुई और ह्विटीसे मिले।
मई१०: गांधीजी पटनामें मॉडसे मिले और अपनी जाँचकी परिचयात्मक प्रारम्भिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना स्वीकार किया।
मई १३: बेतियासे गांधीजीने चम्पारनकी रैयतकी दशाका विवरण एच० मैक्फर्सनको भेजा।
मई १४: अपनी जाँच रिपोर्टकी प्रतियाँ मॉड, मॉर्सहेड और हेकॉकको भेजीं।
मई १७: भारतीय होमरूल लीगका प्रथम वार्षिक सम्मेलन जोज़ेफ बेप्टिस्टाकी अध्यक्षतामें नासिकमें हुआ।
गांधीजी द्वारा अपने कार्य और ओलहा अग्निकाण्डके बारेमें ‘ए० पी० आई० की रिपोर्टका खण्डन; हेकॉकके साथ हुए पत्र-व्यवहारका प्रकाशन।
मई१८: ढोकरहामें लोहरिया फैक्टरीकी कचहरीकी इमारत आग लगनेसे जलकर ध्वस्त।
मई १९: गांधीजीने लोहरियाकी नील कम्पनीके प्रबन्धकको रैयतपर होनेवाले जुल्म के बारेमें पत्र लिखा।
मई २०: प्रान्तके लेफ्टिनेंट गवर्नरने भारत सरकारके गृह-सदस्यको पत्र लिखकर गांधीजीके विरुद्ध की जानेवाली प्रस्तावित कार्यवाहीका ब्यौरा भेजा।

बिहार बागान-मालिक संघने मॉर्सहेडको पत्र लिखकर आगजनीकी घटनाओंकी जिम्मेदारी गांधीजीके कार्योंपर डाली।
गांधीजीने हेकॉकको बेलवा और ढोकरहा कम्पनियोंके बारेमें पत्र लिखते हुए

बागान मालिकों द्वारा रैयतको डराये-धमकाये जानेकी शिकायत की।
मई २१: मैक्फर्सनने सरकारसे भारत सुरक्षा कानूनके अन्तर्गत गांधीजी और उनके साथियोंको चम्पारनसे बाहर निकालनेकी अनुमति मांगी। ह्विटीने मॉडको लिखा कि गांधीजी यूरोपीयोंके खिलाफ आन्दोलन केन्द्रके प्रेरक-बिन्दु बन गये हैं।