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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

जनवरी ३: सूरतमें जैन छात्र पुस्तकालयके उद्घाटनके अवसरपर पाटीदार युवक संघ और आर्य समाजके एक समारोहमें भाषण।
जिला वकील संघ, सैयदपुरा मुस्लिम संघ और इस्लामिया पुस्तकालय द्वारा आयोजित विभिन्न स्वागत समारोहोंमें भाग लिया।
जनवरी ४ : दाऊद मुहम्मद (अध्यक्ष, नेटाल भारतीय कांग्रेस) के जन्म स्थान कठोड़ (सूरत) गये।
जनवरी ५: नवसारीके निवासियों द्वारा आयोजित समारोहमें भाषण।
कोली फकीरा तथा पारसी रुस्तमजी द्वारा दक्षिण आफ्रिकामें की गई सेवाओंकी प्रशंसा की।
जनवरी १३: श्रीनिवास शास्त्रीको पत्र लिखा जिसम भारत सेवक समाजकी कार्यप्रणालीसे अपनी असहमति प्रकट की।
जनवरी १६: भारतके वाइसरॉय-पदपर लॉर्ड चैम्सफोर्डके नियुक्त किये जानेकी घोषणा की गई।
जनवरी १७: अहमदाबाद जिलेके बावला नामक स्थानपर जनहितार्थ कार्यालय द्वारा गांधीजीका अभिनन्दन किया गया।
फरवरी ४: भारतके वाइसरॉय लॉर्ड हार्डिजने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालयका शिलान्यास किया।
फरवरी ५: गांधीजीने काशी नागरी प्रचारिणी सभाके वार्षिकोत्सवमें भाग लिया और हिन्दीके महत्त्वपर भाषण किया।
फरवरी ६: महाराजा दरभंगाकी अध्यक्षतामें बनारस विश्वविद्यालय सप्ताह मनानेके लिए आयोजित एक सभामें गांधीजीका भाषण। सभी उपस्थित राजा गण और श्रीमती बेसेंट विरोध प्रकट करनेके लिए सभा छोड़कर चले गये। सभाकी कार्रवाई सहसा भंग हो गई।
फरवरी ७: दरभंगाके महाराजको पत्र लिखकर गांधीजीने वाइसरॉय महोदयके सम्बन्धमें अपनी उक्तियोंका आशय स्पष्ट किया।
फरवरी ९: बम्बई पहुँचे। बनारसकी घटनाके बारेमें एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाके प्रतिनिधिको वक्तव्य देकर अपना पक्ष स्पष्ट किया।
फरवरी १०: गांधीजी द्वारा दिये गये इस वक्तव्यके जवाबमें श्रीमती बेसेंटने ‘न्यू इंडिया’ में लेख लिखकर इस बातसे इनकार किया कि उन्होंने राजाओंको सभाका त्याग करनेकी सलाह दी थी। गांधीजीको उनके भाषणके दौरान बीच-बीचमें टोकनेका उन्होंने औचित्य सिद्ध किया।
फरवरी १४: मद्रासमें होनेवाले मिशनरी सम्मेलनमें गांधीजीने स्वदेशीके विषयमें भाषण दिया।
फरवरी १६: मद्रास वाई० एम० सी० ए० में सत्याग्रह आश्रमके उद्देश्योंपर प्रकाश डाला।

मद्रासके समाज सेवा संघ (सोशल सर्विस लीग) की वार्षिक बैठकमें भाषण किया।

‘यंग इंडिया’ ने बनारस-काण्डपर टिप्पणी प्रकाशित की।