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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
अक्तूबर १५: लॉर्ड हार्डिजने अपने एक खरीतेमें गिरमिट प्रथाको पूर्णतया समाप्त करनेकी जोरदार सिफारिश की।
अक्तूबर २८: बम्बईके एम्पायर थियेटरमें गांधीजीने गिरमिटिया प्रथापर भाषण दिया। सभाकी अध्यक्षता सर इब्राहीम रहीमतुल्लाने की।
नवम्बर ५: बम्बईमें सर फीरोजशाह मेहताका स्वर्गवास।
गांधीजीने ए० एच० वेस्टको लिखा कि वलिअम्मा हॉलका विचार छोड़ दिया जाये।
गांधीजीने ए० एच० वेस्टको लिखा कि वलिअम्मा हॉलका विचार छोड़ दिया जाये।
नवम्बर १५: गांधीजीने अहमदाबादमें प्रेमाभाई हॉलमें सर फीरोजशाह मेहताके निधनपर आयोजित सभामें शोक-प्रस्ताव पेश किया। सर चिनूभाई सभाके अध्यक्ष थे।
नवम्बर २१: अहमदाबादमें श्रीमद् राजचन्द्रकी जयन्तीके समारोहकी अध्यक्षता की।
नवम्बर २८: श्री एन० सी० मेहताके आई० सी० एस० परीक्षामें उत्तीर्ण होनेपर उनके सम्मानमें अहमदाबादमें आयोजित एक समारोहमें भाषण दिया।
दिसम्बर १: अहमदाबादसे राजकोट जाते हुए गांधीजी कस्तूरबाके साथ वीरमगाँव पहुँचे।
दिसम्बर ४: राजकोटसे गोंडल पहुँचे।
दिसम्बर ८: भावनगरमें राज्यके दीवानकी अध्यक्षतामें नागरिकों द्वारा आयोजित एक स्वागत समारोहमें भाषण किया।
भावनगरके मोढ़-समाजकी ओरसे अभिनन्दन-पत्र भेंट।
भावनगरके मोढ़-समाजकी ओरसे अभिनन्दन-पत्र भेंट।
दिसम्बर १२: अमरेलीसे हडाला होते हुए बगसरा पहुँचे। लोगोंको वीरमगाँवके चुंगीघरको हटवानेमें सहायता देनेका वचन दिया।
दिसम्बर २४: बम्बईमें सर दोराबजी टाटाकी अध्यक्षतामें होनेवाले औद्योगिक सम्मेलनमें भाग लिया, और गिरमिट प्रथा समाप्त करनेकी सिफारिश करनेके लिए वाइसरॉय महोदयके प्रति धन्यवादके प्रस्तावका समर्थन किया।
दिसम्बर २७-२९: बम्बईमें एस० पी० सिन्हाके सभापतित्वमें अखिल भारतीय कांग्रेसका अधिवेशन। गांधीजीने ‘भारत तथा उपनिवेश’ विषयपर प्रस्ताव पेश किया। कांग्रेसने अ० भा० कांग्रेस कमेटीको मुस्लिम लीगकी कार्यकारिणीसे परामर्श करके स्व-शासनकी योजना तैयार करनेका आदेश दिया। कांग्रेसके संविधान संशोधन करके उन सभी राजनीतिक संगठनोंको प्रतिनिधित्व देनेकी व्यवस्था की गई जो कमसे-कम दो वर्षसे कार्य कर रहे हों। गांधीजी विषय समितिमें नहीं चुने जा सकते थे इसलिए सभापतिने उन्हें उसका सदस्य नामजद किया।
दिसम्बर ३०: अखिल भारतीय मुस्लिम लीगकी बैठक मौलाना मजहरुल हककी अध्यक्षतामें बम्बईमें हुई।
१९१६
जनवरी १: प्रागजी देसाईकी जन्मभूमि सालेजमें गांधीजीको अभिनन्दनपत्र दिया गया।
जनवरी २: सूरतमें आर्य-समाजके वार्षिकोत्सवकी अध्यक्षता की, और एक मन्दिरका उद्घाटन किया।