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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

जुर्माने

२३. हमें कुछ ऐसी शिकायतें भी मिली हैं कि कुछेक जमींदारोंने चन्द ऐसे विशिष्ट मामलोंमें, जिनसे उनके अपने हितोंका कोई सम्बन्ध नहीं था और जिनमें अपनी कोई क्षति नहीं हुई थी, काश्तकारोंपर जुर्माने ठोके और जुर्मानोंसे प्राप्त रकमें भी अपने पास रख लीं। यह बात स्पष्टतः गैरकानूनी है, और यह चीज, जिसे दण्ड-करकी वसूली कहना ही उचित होगा, बन्द की जानी चाहिए।

मवेशीखाने

२४. हमारा ध्यान चम्पारन जिलेमें मवेशीखानोंकी व्यवस्थाके सवालकी ओर भी दिलाया गया है। मवेशीखाने अधिकांशतः पट्टेपर फैक्टरियोंको दे दिये जाते हैं। किन्तु, इसके परिणामस्वरूप इस प्रकारकी शिकायतें आने लगीं हैं कि कभी-कभी काश्तकारोंको परेशान करने के लिए उनका अनुचित उपयोग किया जाता है और उनके पशुओंको अकारण ही उनमें बन्द कर दिया जाता है। हमारे लिए अलग-अलग शिकायतोंकी जाँच करना और जाँचके निष्कर्षोंकी लिखित रिपोर्ट तैयार करना तो असम्भव है, किन्तु मवेशीखानोंके पट्टे जमींदारोंको देनेसे इस व्यवस्थाका दुरुपयोग किये जानेकी सम्भावना है। अतः हमारी सिफारिश है कि प्रयोगके तौरपर मवेशीखानोंकी व्यवस्था सीधे जिला बोर्डके हाथोंमें देकर देखा जाये कि कैसा चलता है।

ग्राम प्रशासन सम्बन्धी कागजात

२५. हमने देखा है कि यहाँ उत्तर भारतके अन्य प्रान्तोंकी तरह गाँवोंके दस्तूरोंका कोई ठीक-ठीक लेखा नहीं है, और बन्दोबस्तके समय गाँवोंके विभिन्न दस्तूरोंको दर्ज करने के लिए जो पद्धति अपनाई गई वह यह कि गाँवके विवरणमें इन्हें दर्ज कर लिया गया; लेकिन ये विवरण किसी ऐसे प्रालेखके अंग नहीं हैं जिनपर पक्का भरोसा किया जा सके। अतिकांश प्रान्तोंमें ऐसे दस्तूरों और अधिकारोंका एक नियमित लेखा रखना वांछनीय पाया गया है। हम यह मानते हैं कि बिहारके गाँवोंमें सामुदायिक जीवन उतना प्रबल नहीं है जितना कुछ अन्य प्रान्तोंमें और इन ग्राम-प्रशासनके कागजातमें दर्ज सिंचाई-सम्बन्धी अधिकार-जैसी कुछ बातें बिहारके अधिकारोंके रेकर्डमें शामिल हैं। लेकिन तब भी हमारा खयाल है कि यदि चरसा-सम्बन्धी अधिकारों, चरागाहों-सम्बन्धी अधिकारों तथा घर बनाने तथा ऐसी ही अन्य बातोंके सम्बन्धमें दस्तुरसे प्राप्त अधिकारोंको ग्राम-विवरणसे किसी अधिक प्रामाणिक रेकर्डमें दर्ज किया जाये तो यह लाभदायक ही रहेगा। हम सरकारसे इस सुझावपर विचार करनेका अनुरोध करते हैं।

विविध

२६. अन्तमें हम दो और सिफारिशें पेश करना चाहते हैं। इनका उद्देश्य यह निश्चित कर देना है कि सरकार द्वारा जारी किये गये आदेशका पूरा पालन किया जायेगा। पहली सिफारिश तो यह है कि सरकार जो भी आदेश जारी करे उन्हें अधिकसे अधिक प्रचारित करके देशी भाषामें काश्तकारोंको उनकी पूरी जानकारी दी जाये।