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परिशिष्ट

पर अखीरी तौरपर बन्दोबस्त अधिकारियोंकी रिपोर्ट मिलनेसे पहले कोई हुक्म न दिया जाये। नया बन्दोबस्त १९१३ के जाड़ेमें शुरू हुआ था । ७ अप्रैल, १९१५ को स्थानीय व्यवस्थापिका परिषद्‌में एक प्रस्ताव प्रस्तुत करके यह प्रार्थना की गई कि किसानोंकी शिकायतोंकी जाँच करने और उन्हें दूर करनेके उपाय सुझानेके लिए सरकारी और गैर-सरकारी सदस्योंकी एक जांच-समिति नियुक्त की जाये। किन्तु परिषद्‌में बहुमतने इस प्रस्तावका विरोध किया, इनमें परिषद्के १६ गैर-सरकारी सदस्योंमें से १२ सदस्य थे। प्रस्ताव इस आधारपर अस्वीकृत कर दिया गया कि ‘फिलहाल उक्त समितिको नियुक्त करना आवश्यक नहीं है, क्योंकि बन्दोबस्त अधिकारी सम्बन्धित प्रश्नोंके निर्णयके लिए जरूरी सभी सामग्रीको जुटानेमें लगे हैं और जिस अतिरिक्त जाँचका प्रस्ताव किया जा रहा है उससे जमींदारों और किसानोंके सम्बन्ध जिनपर बन्दोबस्तकी कार्रवाईका असर पड़ना शुरू हो गया है, और भी कटु हो जायेंगे।

“अब जिलेके उत्तरी भागमें बन्दोबस्तका कार्य पूरा हो चुका है और शेष भागमें पूरा होनेवाला है एवं खेतीकी हालत और जमींदारों तथा किसानोंके सम्बन्धोंके बारेमें बहुतसे प्रमाण इकट्ठे किये जा चुके हैं। बेतिया सब-डिवीजनके पट्टेके उन उत्तरी गाँवोंके, जो पट्टके हैं और जिनमें नील नहीं बोया जाता, किसानोंकी शिकायतोंकी प्रारम्भिक रिपोर्ट मिल गई है और उसपर कार्रवाई की जा चुकी है; इन गाँवोंमें गैर-कानूनी करोंकी वसूलीकी मनाही कर दी गई है। बेतिया राजके सम्बन्धित गाँवोंके पट्टकी शर्तोंपर भी पुनर्विचार करनेका आदेश दे दिया गया है। जहाँतक जिलेके दूसरे भागोंके किसानोंकी शिकायतोंका सम्बन्ध है, बन्दोबस्त अधिकारीकी अन्तिम रिपोर्ट अभी नहीं मिली है, किन्तु अभी हालमें वहाँ जो घटनाएँ हुई हैं उनसे जमींदारों और किसानोंके सम्बन्धोंका समस्त प्रश्न मुख्यतः किसानोंसे नीलकी खेती बन्द करनेके एवजमें मुआवजा या बेशी लगान लेनेके करार करवानेका प्रश्न, फिर प्रमुखरूपसे सामने आ गया है। इन स्थितियोंमें और विभिन्न क्षेत्रोंमें से प्राप्त इस आशयके आवेदनोंको ध्यान में रखते हुए कि प्रस्तुत समस्याओंके हलमें स्थानीय सरकारको सरकारी और गैर-सरकारी सदस्योंकी एक संयुक्त जाँच-समितिकी जाँचसे महत्त्वपूर्ण सहायता मिल सकती है, अतः अब उसकी नियुक्तिका समय आ गया है, सपरिषद् लेफ्टिनेंट गवर्नरने यह निर्णय किया है कि बन्दोबस्तकी कार्रवाईकी अन्तिम रिपोर्टकी प्रतीक्षा न की जाये और यह प्रश्न एक जाँच-समितिको सौंप दिया जाये। समितिमें समस्त सम्बन्धित पक्षोंका प्रतिनिधित्व होगा।

“इस निर्णयके अनुसार भारत सरकारकी स्वीकृति लेकर निम्न समिति नियुक्त कर दी गई है:

अध्यक्ष

एफ० जी० स्लाई, सी० एस० आई०, कमिश्नर, मध्य प्रदेश।

सदस्य

माननीय श्री एल० सी० ऐडमी, आई० सी० एस०, बिहार और उड़ीसाके कानूनी मामलातके परामर्शदाता और व्यवस्थापक।