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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
इस दिशामें जितना भी आगे बढ़ेंगे उसे भविष्यमें पारस्परिक सद्भावकी

आशासे काफी मान लिया जायेगा।

(२) कि इसे श्री गांधी एक सन्तोषजनक समझौतेके रूपमें पूरी तरह स्वीकार कर लेंगे और इसे काश्तकारों द्वारा सचाईके साथ मान्य कराने और बागान-मालिकों तथा उनके किसानोंके बीच भविष्यमें शान्तिपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करनेके लिए वे काश्तकारोंपर अपने प्रभावका पूरा-पूरा उपयोग करेंगे।
(३) कि कानून बनाकर समझौतेको बन्धनकारी रूप दे दिया जायेगा।

ख. यदि उपर्युक्त समझौता न हुआ तो शरहबेशीका सवाल पंच-फैसलेके लिए सौंप दिया जाये। वह पंच-फैसला इन विकल्पोंमें से किसी एकके आधारपर होगा:

(१) एक ही पंच नियुक्त किया जाये जो तुरकौलियाके लिए २० से ४० प्रतिशत तक की और मोतीहारी तथा पीपराके लिए २५ से ४० प्रतिशत तक की कमी करनेके अधिकारके साथ फैसला करेगा। ऐसे पंचका चुनाव बागान मालिकों और श्री गांधीकी पारस्परिक सहमतिसे किया जायेगा।
(२) तीन पंचोंकी नियुक्ति की जाये, जिनमें से एकको बागान मालिक तथा दूसरेको श्री गांधी नियुक्त करें और दोनोंके बीच मध्यस्थता करनेके लिए तीसरेकी नियुक्ति ये दोनों मिलकर करें और यदि दोनों किसी एकके नामपर सहमत न हो सकें तो मध्यस्थकी नियुक्ति सर एडवर्ड गेट करें। इस प्रकार नियुक्त किये जानेवाले पंच-न्यायालयको यह अधिकार होगा कि वह कतई कोई कमी न करनेसे लेकर सौ फीसदी तक की कमी करनेके आधारपर फैसला दे सकता है। पंचोंको सूचित कर दिया जाये कि बागान मालिकोंने तुरकौलियामें २० प्रतिशत और मोतीहारी तथा पीपरामें २५ प्रतिशत कमी करनेका और श्री गांधीने काश्तकारोंकी ओरसे ४० प्रतिशतकी कमी स्वीकार करनेका प्रस्ताव रखा था, लेकिन अब ये प्रस्ताव वापस ले लिये गये हैं और पंचोंको, वे जैसा भी सोचें वैसा फैसला देनेकी पूरी सत्ता प्राप्त है।

इन दोनों विकल्पोंके अन्तर्गत भाग ‘क’ में उल्लिखित (२) और (३) शर्तें प्रभावी रहेंगी।

साथ ही, सभी प्रस्तावोंमें एक यह शर्त शामिल रहेगी कि बन्दोबस्तके कागजातमें दर्ज सभी वर्तमान दायित्वोंको रद कर दिया जायेगा और उसके बदले उसपर शरहवेशी निर्धारित की जायेगी जो दर अन्य लोगोंके साथ ही एवजी माफी [कम्युटेशन] होनेकी सूरतमें उनपर लागू होती और उसमें उतनी कमी कर दी जाये जितनी पारस्परिक सहमतिसे तय हो या पंच लोग निर्धारित करें।

पंच-फैसलेके प्रस्तावोंके अन्तर्गत बागान मालिक और श्री गांधी दोनों अपने-अपने मामलोंका लिखित बयान पेश करेंगे और दोनोंको एक दूसरेके बयानका जवाब पेश करनेकी छूट रहेगी। कोई भी पक्ष किसी वकीलके जरिये या स्वयं उपस्थित होकर अधिकारपूर्वक अपना प्रतिनिधित्व नहीं कर सकेगा। पंच या पंचगण अपनी इच्छानुसार