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परिशिष्ट ३

एल० एफ० मॉर्सहेडके नाम गाँधीजीके पत्रके सहपत्र

स्थानीय नेताओंकी ओरसे गांधीजीको पत्र

मुजफ्फरपुर
अप्रैल १३, १९१७

प्रिय श्री गांधी,

हम आपके उस बयानकी पूरी-पूरी ताईद करते हैं जो आपने आज कमिश्नर (तिरहुत डिवीजन) के सामने दिया है। तात्पर्य उस बयानसे है कि आप प्रान्तके सार्वजनिक नेताओंके अनुरोधपर ही निलहे जमींदारों और भारतीय काश्तकारोंके सम्बन्धोंके प्रश्नके बारेमें जाँच-पड़ताल करने और हमें अपने ढंगसे अपनी दक्ष सहायतासे लाभान्वित करने इस डिवीजनमें आये थे। आपको आमन्त्रित करनेमें हम लोग भी शामिल थे। हम आपके उस बयानकी भी ताईद करते हैं कि कांग्रेसके पिछले अधिवेशनके दौरान हममें से अधिकांश लोगोंने आपसे इस विषयपर एक प्रस्ताव पेश करनेके लिए कहा था, और आपने इस आधारपर हमारा अनुरोध अस्वीकार कर दिया था कि आपने स्वयं यहाँ आकर इस प्रश्नका अध्ययन नहीं किया था। हमने आपको इस कारणसे आमन्त्रित किया था कि हमने सोचा, आपको विशेष अनुभव है, इसलिए इस विषयकी पूरी तौरपर एक वैधानिक और निष्पक्ष जाँच-पड़तालके लिए आप ही सबसे उपयुक्त व्यक्ति रहेंगे और वह जाँच सम्बन्धित पक्षोंके हितमें रहेगी।

हृदयसे आपके,
ब्रजकिशोर प्रसाद
रामनवमी प्रसाद
गयाप्रसाद सिंह
रामदयालु सिन्हा

बाबू अरिक्षण सिन्हाकी टिप्पणी

मुजफ्फरपुर
अप्रैल १३, १९१७

पिछली लखनऊ कांग्रेस में एक प्रतिनिधिकी हैसियतसे गया था। इस प्रान्तके लगभग सभी प्रमुख व्यक्तियोंने प्रतिनिधियोंकी हैसियतसे लखनऊ अधिवेशनमें भाग लिया――उनकी संख्या लगभग ८१ रही होगी। बिहारके प्रतिनिधियोंने लखनऊमें माननीय