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४१४. पत्र: जी० ए० नटेसनको

रांची
सितम्बर २७, [१९१७]

प्रिय श्री नटेसन,

मुझे आपकी पुस्तिका[१] पढ़कर बहुत हर्ष हुआ है। यह पुस्तिका व्यस्त राजनीतिज्ञों और कार्यकर्त्ताओंके लिए दैनिक उपयोगके खयालसे बढ़िया हाथ-पोथी है। आपने उनके लिए स्वराज्य आन्दोलनका सिलसिलेवार विवरण बड़े ही रोचक ढंगसे और ग्राह्य रूपमें प्रस्तुत किया है। सरकारी कागजोंके जो अंश आपने कालानुक्रमसे इस पुस्तिकामें उद्धृत किये हैं उन्हें आपने अपनी कहानी खुद ही कहने दी है। मेरा खयाल है कि आज-कलकी राजनीतिके उन विद्यार्थियों और समालोचकोंको जिन्हें सरकारी पोथोंको पढ़ने की या तो परवाह नहीं रहा करती या जिनकी उनतक पहुँच नहीं हो पाती, इस पुस्तिकासे बड़ी मदद मिलेगी।

इतना तो सार्वजनिक प्रकाशनकी दृष्टिसे। आपने “एन अपील टु द ब्रिटिश डिमॉकैसी” नामक पुस्तक प्रकाशित करनेका जो इरादा किया है वह बुद्धिमत्तापूर्ण है। आपको यह जानकर दुःख होगा कि जबसे मैं रांची आया हूँ तबसे मुझे तिजारी आ रही है। हर तीसरे दिन बुखार आता है। कल चौथा दिन था। बुखार केवल तीसरे पहर ही चढ़ता है इसलिए जो काम हाथमें ले रखा है, उसमें कोई खलल पैदा नहीं हो रहा है। परन्तु कमजोरी बहुत आ गई है। जो आशंका मैंने समाचारपत्रोंके नाम अपनी रेलोंके सम्बन्धमें लिखी चिट्ठीमें[२] व्यक्त की है वह मेरे हो बारेमें सही सिद्ध हो गई। जब मैंने उक्त पत्र तैयार किया था, तब मुझे इसका कोई अन्दाज नहीं था।

मैं आपके भाषणोंके लेखोंके[३] विषयमें यह चाहता हूँ कि आप वक्तकी कोई मियाद मुकर्रर न करें। उस सूरतमें मैं गुजरातीमें हाल ही में लिखे हुए अपने कुछ लेखोंका अनुवाद दे सकूँगा। मेरे खयालसे उनमें बहुत-कुछ उपयोगी बातें हैं। इस कामको करने के लिए नवम्बरसे पहले अवकाश मिलना कठिन है। सम्भवतः उसके बाद मैं लिखना शुरू करूँगा।

मेरे ज्वरके कारण आप चिन्तित न हों। वह अपने समयसे ही जायेगा।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० २२२६) की फोटो-नकलसे।

  1. १. व्हाट इंडिया थॉट्स: आटॉनॉमी विदिन द एम्पायर
  2. २. देखिए “पत्र: अखबारोंको”, २५-९-१९१७।
  3. ३. यह संग्रह सी० एफ० ऐन्द्रबूज द्वारा लिखे हुए परिचमके साथ जी० ए० नटेसन पेंड कम्पनी, मद्रास द्वारा सन् १९१७ में प्रकाशित हुआ था।