४१३. प्राक्कथन
“व्हाट इंडिया वॉट्स: आटॉनॉमी विदिन द एम्पायर”
सितम्बर २७, १९१७[१]
मुझे श्री नटेसनकी[२]पुस्तिका पढ़कर बहुत हर्ष हुआ। यह पुस्तिका व्यस्त राजनीतिज्ञों और कार्यकर्ताओंके लिए दैनिक उपयोगके खयालसे बढ़िया हाथ-पोथी है। श्री नटेसनने उनके लिए स्वराज्य आन्दोलनका सिलसिलेवार विवरण बड़े ही रोचक ढंगसे और ग्राह्य रूपमें प्रस्तुत किया है। उन्होंने सरकारी कागजोंके जो अंश कालानुक्रमसे इस पुस्तकमें उद्धृत किये हैं, वे स्वयं अपनी कहानी कह रहे हैं। मेरा खयाल है कि आजकलकी राजनीतिके उन विद्यार्थियों तथा समालोचकोंको जिन्हें सरकारी पोथोंको पढ़नेकी परवाह नहीं रहा करती अथवा जिनकी उनतक पहुँच नहीं हो पाती, इस पुस्तिकासे बड़ी मदद मिलेगी।
स्वशासन[३] सम्बन्धी संयुक्त योजनाके बारेमें मेरा विचार यह है――यद्यपि मैं उनमें इतनी दिलचस्पी नहीं लेता जितनी हमारे नेतागण लेते हैं किन्तु सरकारकी दृष्टिसे वह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है और उसका ध्यान इसकी ओर आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता। क्योंकि जनसाधारणके मनको जितना इसने उद्वेलित कर रखा है उतना और किसी वस्तुने नहीं। मैं यह कहनेका साहस कर रहा हूँ कि जबतक यह योजना सरकार द्वारा मंजूर नहीं की जायेगी तबतक देशमें शांति रह ही नहीं सकती।
इंडियन रिव्यू, अक्तूबर १९१७