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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यूबैंकने कृपापूर्वक इस विषयका कुछ साहित्य मुझे दे दिया था। और चम्पारनमें मुझे सहकारिताके प्रयत्नोंका कुछ प्रभाव देखनेका अनुपम अवसर मिला था। मैंने श्री यूबँककी दस मुख्य बातें पढ़ ली हैं और बिहारके श्री कॉलिन्सकी बारह बातें भी, जो मुझे द्वादश विधियों[१] जैसी लगती हैं। चम्पारनमें एक कथित कृषक बैंक है। यदि उन प्रयत्नोंका उद्देश्य लोगोंको सहकारिताकी सफलता बताना हो तो मैं समझता हूँ कि वे निराशाजनक हैं। इसी तरह का कुछ काम पादरी हॉज भी चुपचाप कर रहे हैं। और मैं समझता हूँ कि जो लोग उनके सम्पर्कमें आते हैं उनपर उनके प्रयत्नोंका प्रभाव पड़ता है। श्री हॉजमें सहकारिताके सम्बन्धमें बहुत उत्साह है और उन्हें अपने प्रयत्नोंके जो परिणाम दिखाई देते हैं, सम्भवतः वे समझते हैं कि वे सब सहकारिताको ही देन हैं। मैंने दोनों महाशयोंके कामको ध्यानपूर्वक देखा है; अतः बिना झिझक यह निष्कर्ष निकाला है कि व्यक्तिगत गुणों या अवगुणोंके कारण ही उनमें से किसी को सफलता और किसीको विफलता हुई है।

स्वयं मुझमें सब बातोंके लिए बहुत-कुछ जोश रहता है, परन्तु पच्चीस वर्षके प्रयोग और अनुभवसे मुझमें बहुत कुछ सतर्कता और विवेक-बुद्धि आ गयी है। जो कार्यकर्ता किसी काम में लगते हैं वे अवश्य ही, जाने-अनजाने उसके गुणोंको बहुत कुछ बढ़ाकर बताते हैं और प्रायः उसके दोषोंको ही उसकी विशेषताओंमें बदल देते हैं। इस विषयमें बहुत कुछ सतर्क होनेपर मैं अहमदाबादकी अपनी छोटी संस्थाको[२] संसारमें सर्वोत्तम समझता हूँ। केवल उसीसे मुझे यथेष्ट प्रेरणा मिलती है। आलोचक मुझसे कहते हैं कि वह आत्मारहित आत्मबलकी प्रतीक है और कठोर अनुशासनसे बिलकुल मशीनकी तरह हो गई है। मैं समझता हूँ कि इस सम्बन्धमें हम दोनों ही, उसके आलोचक और मैं गलतीपर हैं। वह अधिकसे-अधिक राष्ट्रको एक ऐसा आवास देनेका नम्र प्रयत्न है, जिसमें पुरुष तथा स्त्रियाँ भारतीय प्रकृतिके अनुरूप बिलकुल स्वतन्त्रता और स्वच्छन्दतासे अपने-अपने चरित्रका विकास कर सकें, यदि उसके चालक यथेष्ट ध्यान न रखें तो जो अनुशासन वास्तवमें सदाचारका मूल है, वही अनुशासन उसका चरम उद्देश्य नष्ट करनेका कारण हो सकता है। इसलिए सहकारिताके सम्बन्धमें जिन लोगोंके मनमें बहुत अधिक उत्साह है उन लोगोंको में सचेत करता हूँ कि वे झूठी आशाएँ न बाँधे।

सहकारिता सर डैनियल हैमिल्टनके लिए तो ‘धर्म’ ही बन गई है। गत १३ जनवरीको उन्होंने स्कॉटिश चर्च-कॉलिजके विद्यार्थियोंके सम्मुख एक व्याख्यान दिया था। इसमें उन्होंने अपनी बात दृष्टान्त द्वारा स्पष्ट करनेके विचारसे स्कॉटलैंडकी दो सौ वर्ष पहलेकी दरिद्रताका उदाहरण दिया था और यह दिखाया कि किस तरह वह देश दरिद्रावस्थासे निकलकर सम्पन्न हो गया है।

 
  1. १. टवेल्व-कमान्डमेन्टस; रोममें ४५१-४५० ईसा पूर्व प्रचलित बारह कानून जो रोमके कानूनको मूल भित्ति हैं।
  2. २. सत्याग्रह आश्रम।