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सहकारिताका नैतिक आधार

 

मैं एकाएक विधान-शास्त्रके किसी वकीलका हवाला देनेमें असमर्थ हूँ।[१]

आपके पाँचवें प्रश्नके लिए ऐतिहासिक उदाहरणोंकी आवश्यकता है। इसका उत्तर अनुच्छेद २ में दिया गया है।

आपका छठा प्रश्न है, यह वैधानिक तरीकोंमें आता है या नहीं। इसका उत्तर देने की आवश्यकता नहीं है। उत्तर देनेमें देर हुई इसका मुझे खेद है। मैं १६ सितम्बर तक अहमदाबादमें रहूँगा। उसके बाद बिहार जानेकी तैयारी करूँगा।

महादेव देसाईके स्वाक्षरोंमें दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६३८५) की फोटो-नकल से।

४०५. सहकारिताका नैतिक आधार[२]

आपका कृपापात्र होनेका मुझे केवल इतना ही अधिकार है कि कई मास पूर्व में श्री यूबैंकके साथ मिल मजदूरोंकी एक सभामें गया था, जिन्हें वे सहकारिताके सिद्धान्त समझाना चाहते थे। जिस चालमें[३] लोग रहते थे वह बहुत गन्दी थी। कुछ ही पहले पानी बरसनेके कारण उसकी दशा और खराब हो गई थी। और मुझे यह बात मुक्तकंठसे स्वीकार करनी चाहिए कि यदि श्री यूबँक, जिन्होंने उस कामको बिलकुल अपना लिया था, इतना अधिक उत्साह न दिखलाते तो मैं उस कामको छोड़ ही देता। किन्तु वहाँ जब हम एक बहुत ही जर्जर-सी चारपाई पर जा बैठे, हमें चारों ओरसे पुरुषों, स्त्रियों और बालकोंने घेर लिया था। श्री यूबैंकने एक आदमीको, जो सबसे आगे बढ़कर आया था और देखनेमें बिलकुल भोला जान पड़ता था, आड़े हाथों लिया। जब वे उससे और उसके आसपासके लोगोंसे गुजरातीमें बातें कर चुके तब उन्होंने यह इच्छा प्रकट की कि मैं भी उन लोगोंसे कुछ कहूँ। जिस आदमीसे उन्होंने पहले बातें की थीं उसकी निगाहसे सन्देहशीलता टपकती थी, इसलिए स्वभावतः मैंने सहकारिताके नैतिक गुण समझाये। मेरा खयाल है जिस ढंगसे मैंने उस विषयका निरूपण किया था वह ढंग, श्री यूबैंकको कुछ पसन्द आया था। मेरा विश्वास है कि इसीलिए उनकी कृपासे इस समय मैं आपको थोड़ा कष्ट देने और नैतिक दृष्टिसे सहकारितापर थोड़ी देर तक विचार प्रकट करनेके लिए बुलाया गया हूँ।

सहकारिताकी सूक्ष्म विधियोंके विषयमें मेरा ज्ञान नहीं के बराबर है। भाई

देवधरजीने इस विषयको पूरी तरह अधिकृत कर लिया है। वे जो कुछ करते हैं वह स्वभावतः मुझे आकृष्ट करता है और मैं सोचनेके लिए तैयार हो जाता हूँ कि उसमें कुछ-न-कुछ अच्छाई अवश्य है और उसपर विचार करना बहुत कुछ कठिन है। श्री

 
  1. १. चौथे और पाँचवे प्रश्न थे:
    (४) क्या विधान शासनके किसी वकीलने इस विषयपर विचार किया है?
    (५) इतिहास में से सत्याग्रहियों के उदाहरण दें...।
  2. २. सितम्बर १७, १९१७के बम्बई प्रान्तीय सहकारिता सम्मेलन में पठित।
  3. ३. गुजरात और महाराष्ट्र में एक ही साथ बने हुए किरायेके मकान।