पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/५७५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५३९
एक सुझाव

 

१२. स्वयंसेवकको किसी ऐसे विषयपर बोलनेका अधिकार नहीं है जो प्रार्थना-पत्रकी विषय-सीमासे बाहर हो या जिसका सम्बन्ध [योजनाकी] भूमिकासे भले हो, किन्तु जो उसमें शामिल न हो।

१३. सर्वप्रथम किसी स्थानके निवासियोंको एक जगह इकट्ठा करके उन्हें भूमिका पढ़कर सुनाई जाये, और फिर उनके हस्ताक्षर लिये जायें। इसके बाद जितने घरोंमें जाना सम्भव हो, उतने घरोंमें जाकर बाकी पुरुषों और स्त्रियोंके हस्ताक्षर लिये जायें। लेकिन भूमिकाको अच्छी तरह समझानेके बाद ही हस्ताक्षर कराये जायें।

१४. यदि विभिन्न स्थलोंपर जाने, या लोगोंको बुलाकर इकट्ठा करनेमें पुलिस या कोई अन्य अधिकारी आपत्ति उठाये, तो स्वयंसेवक नम्रतापूर्वक जवाब दे कि जबतक मुख्य कार्यालय काम रोकनेकी आज्ञा नहीं देता तबतक वह अपना काम जारी रखेगा। यदि ऐसा करते हुए पुलिस उसे गिरफ्तार करे, तो उसे गिरफ्तार हो जाना चाहिए, लेकिन पुलिसका विरोध नहीं करना चाहिए। और यदि ऐसी कोई घटना हो, तो उसे एक विस्तृत रिपोर्ट मुख्य कार्यालयको भेजनी चाहिए। यदि पुलिसके भयसे या अन्य किसी कारणवश लोग स्वयं न इकट्ठे हों, तो स्वयंसेवकको वह स्थान छोड़ देना चाहिए, और मुख्य कार्यालयको तुरन्त इसकी सूचना भेजनी चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
स्पीचेज ऐंड राइटिंग्ज ऑफ महात्मा गांधी: नटेसन (तृतीय आवृति)।

४०३. एक सुझाव

[सितम्बर १६, १९१७ के पूर्व]

गांधीजी लिखते हैं कि:

कलकत्तेमें जिस दिन कांग्रेसका अधिवेशन हो उसी दिन नगर-नगरमें तथा ग्राम-ग्राममें सभाएँ आयोजित करके तथा कांग्रेस-अध्यक्षके[१] भाषणका गुजरातीमें अनुवाद करके कांग्रेस तथा लीगके सुधार कार्यक्रमसे सब लोगोंको परिचित कराया जाना चाहिए।

[गुजरातीसे]
गुजराती, १६-९-१९१७
 
  1. १. श्रीमती बेसेंट।