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४०१. याचिका : श्री माँटेग्युको

[सितम्बर १३, १९१७ के पूर्व[१]]

माननीय
श्री ई॰ एस॰ माँटेग्यु,
भारत-मन्त्री

गुजरातकी ब्रिटिश प्रजाका प्रार्थनापत्र

नम्रतापूर्वक निवेदन है

(१) प्रार्थियोंने अखिल भारतीय मुस्लिम लीग और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति द्वारा तैयार की गई और गत वर्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तथा अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा सर्वसम्मतिसे स्वीकार की गई स्वराज्य-योजनापर विचार किया और उसे समझा है।

(२) प्रार्थी उक्त योजनाका समर्थन करते हैं।

(३) प्रार्थियोंकी नम्र सम्मतिमें भारत तथा साम्राज्यके हितोंको देखते हुए उपर्युक्त योजनामें प्रस्तावित सुधार नितान्त आवश्यक हैं।

(४) प्राथियोंका यह भी विश्वास है कि ऐसे सुधारोंके बिना भारतमें सच्चे सन्तोषका युग नहीं आयेगा।

उक्त कारणोंसे प्रार्थी सादर प्रार्थना करते हैं कि आप कृपापूर्वक पूरी तरह विचार करके सुधार-प्रस्तावोंको स्वीकार करें, और अत्यन्त असुविधा उठाकर की गई अपनी इस यात्राको सफल, और राष्ट्रीय आशाओंको पूर्ण करें।

इस अनुग्रहपूर्ण कार्यके लिए प्रार्थी आपके सदा कृतज्ञ रहेंगे।

तारीख प्रार्थिके हस्ताक्षर धन्धा पता
       

महात्मा, खण्ड १ में उद्धृत अंग्रेजी प्रतिकी प्रत्याकृतिसे।

  1. जैसा कि १३-९-१९१७ को लिखे गये "गुजरात सभाका परिपत्र" (देखिए परिशिष्ट ८) में बताया गया है, इस प्रार्थनापत्रका मसविदा गांधीजीने तैयार किया था। ऐसे ही प्रार्थनापत्र अन्य भाषाओं में भी तैयार किये गये थे।