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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्भव है कि सरकार निर्दोष हो, उसके पास उनको नजरबन्द रखनेके दृढ़ प्रमाण हों। परन्तु कुछ भी हो, प्रजा उनके स्वातन्त्र्यका हरण होनेसे दुखित है। शस्त्रक्रियासे एनी बेसेंट छूट नहीं सकतीं, कोई भारतवासी इस क्रियाको पसन्द नहीं करेगा। याचनाओं एवं प्रार्थनाओंसे हम उन्हें छुड़ा नहीं सकते। बहुत समय व्यतीत हो गया है। हम सब सरकारसे नम्रतापूर्वक कह सकते हैं कि यदि विदुषी एनी बेसेंट हमारे निश्चित किये हुए कालमें न छोड़ दी जायेंगी तो हम लोगोंको भी उन्हींकी गतिका अनुसरण करना पड़ेगा। सम्भव है कि हम सब उनके समस्त कामोंको पसन्द न करते हों, परन्तु उनके कार्यमें हम कोई ऐसा दोष नहीं देखते, जिससे (ऐसटेब्लिश्ड गवर्नमेंट) सरकार या स्थापित अधिकारकी हानि हो। इसीलिए हम भी उनकी सब प्रवृत्तियों में शामिल होकर उन्हींकी स्थितिकी याचना करेंगे अर्थात् हम भी कैद होंगे। हमारे व्यवस्थापक सभाके सभ्य भी सरकारसे यह याचना कर सकते हैं, और याचना स्वीकार न होनेसे अपना पद छोड़ सकते हैं। स्वराज्यके लिए भी सत्याग्रह रामबाण है। सत्याग्रहका अर्थ यह है कि हम जिस चीजको चाहते हैं वह सत्य है, हम उसके योग्य हैं और उसे प्राप्त करनेमें हम मरण-पर्यन्त प्रयत्न करेंगे।

किंबहुना। “सत्यमेव जयते। सत्यान्नास्ति परो धर्मः।” सत्यकी सर्वदा जय है। ईश्वरसे यही प्रार्थना है कि इस पवित्र भूमिमें हम सत्याग्रहका अवलम्बन कर धर्मराज्यका प्रचार करें और हमारा देश सारे जगत्के लिए दृष्टान्त स्वरूप बने।

महात्मा गांधी
 

३९७. पत्र: एस्थर फैरिंगको

अहमदाबाद
सितम्बर ५, १९१७

प्रिय एस्थर,

वास्तवमें मुझे तुम्हारे दो पत्रोंका उत्तर देना है। दूसरा पत्र तो बहुत मर्मस्पर्शी है। मैंने जो भयंकर पीड़ा सही है, उसका कारण तो मेरे अन्दर ही था। मैंने दो बार भोजन किया, जब कि मुझे खाना ही नहीं चाहिए था। परिणामस्वरूप बहुत जोरकी पेचिश हुई। अब मैं बहुत बेहतर हूँ, और प्रतिदिन दशामें सुधार हो रहा है। चार-पाँच दिनमें ही चारपाई छोड़ दूँगा।

सस्नेह,

बापू

[अंग्रेजीसे]
माई डियर चाइल्ड