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निष्क्रिय प्रतिरोध नहीं, सत्याग्रह

 

इसके बाद मुझे यह कहनेकी जरूरत नहीं कि विदुषी एनी बेसेंट और उनके सहकारियोंके छुड़ानेके लिए सत्याग्रह करना हमारा कर्त्तव्य है। यह बात जुदा है कि उनके कुल अथवा कुछ काम सबको पसन्द हैं या नहीं। मैं स्वयं भी उनकी कितनी ही बातोंको पसन्द नहीं करता तथापि में यह जरूर कहूँगा कि उनको नजरबन्द करके सरकारने बड़ी भारी भूल की है। यह बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि सरकार उसको भूल नहीं समझती। प्रजा उन्हें छुड़ानेकी इच्छा करने में ही शायद भूल करती हो। सरकारने तो जो उचित समझा सो किया। प्रजा अपने हृदयकी पीड़ा किस प्रकार प्रकट करे? प्रार्थनापत्र आदि उपाय सामान्य सह्य दुःखोंके लिए हैं। असह्य दुःखका एकमात्र इलाज सत्याग्रह है। यह दुःख जब असह्य होगा तभी और जो इसे असह्य पायेगा वही अपना तन, मन, धन श्रीमती एनी बेसेंटको छुड़ानेके लिए न्यौच्छावर करेगा। इससे लोगोंकी भावनाओंका पता चलेगा। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इस प्रकारके महात्यागके सामने किसी चक्रवर्तीकी भी शक्तिको झुकना पड़ेगा। श्री मॉंटेग्यु आ रहे हैं यह सोचकर भले लोग अपनी भावनाओंपर नियन्त्रण रखें, उन्हें प्रगट न करें। इससे उनकी न्यायबुद्धिमें लोगोंका विश्वास प्रगट होगा पर उनके आनेके पहले यदि उन्हें रिहा नहीं किया जाता तो सत्याग्रहका अवलम्बन हमारा कर्त्तव्य ही है। सरकारको चिढ़ाना, परेशान करना हमारा उद्देश्य नहीं है। सत्याग्रह करके हम अपने दुःखकी गम्भीरता प्रगट करते हैं और इस प्रकार सरकारकी सेवा ही करते हैं।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें गुजराती मसविदे (एस० एन० ६३७३) की फोटो-नकल से।

३९६. निष्क्रिय प्रतिरोध नहीं, सत्याग्रह[१]

[सितम्बर २, १९१७के लगभग][२]

अंग्रेजीमें “पैसिव रेजिस्टेंस” शब्दसे जिस शक्तिका ज्ञान होता है, और गुजराती अखबार जिसका अनुवाद ‘निष्क्रिय प्रतिरोध’ शब्दसे करते हैं उस शक्तिका ठीक-ठीक परिचय न तो मूल अंग्रेजी शब्दसे मिलता है और न उसके अनुवादसे ही। वास्तवमें इस शक्तिकी पहचान “सत्याग्रह” शब्दसेbठीक होती है। “सत्याग्रह " की उत्पत्ति दक्षिण आफ्रिकामें संवत् १९६५ में हुई। हमारे दक्षिण आफ्रिका प्रवासी हिन्दुस्तानी भाइयोंने जिस शक्तिका प्रयोग अपने दुःख-निवारणके लिए किया था उस शक्तिको सूचित करनेवाला कोई शब्द भारतवर्षकी भाषामें प्रचलित नहीं था। अंग्रेजी शब्द “पैसिव रेजिस्टेंस था, इसलिए उसीसे काम लिया जाने लगा। परन्तु इस महान् शक्तिको” सूचित करनेवाले शब्दकी आवश्यकता दिनपर-दिन बढ़ती जाती थी। इसलिए ऐसा शब्द सुझानेके लिए पारितोषिक देना निश्चित किया गया। प्रतियोगितामें एक गुजराती ने “सत्याग्रह” शब्द भेजा और वही शब्द सर्वोत्तम माना गया।[३]

  1. १. मूल गुजराती लेख उपलब्ध नहीं है।
  2. २. ऐसा लगता है कि यह लेख पिछले शीर्षकके साथ-साथ लिखा गया था।
  3. ३. देखिए खण्ड ८, पृष्ठ २३ और १२६-२७।
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