पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/५४८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५१२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तरहसे अपने मनमें एक अंक निश्चित भी कर लिया है। श्री गांधीने कहा कि तब तो मैं सहमत नहीं हो सकता क्योंकि अध्यक्ष अपने तई एक फैसला कर हो चुके हैं और अब अध्यक्षको रैयतकी माँगकी न्यायपूर्णता समझा सकनेकी कोई आशा नहीं रह गई है। इसपर अध्यक्षने कहा कि चूँकि यह प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हुआ, इसलिए अब में समितिके सामने एक दूसरा प्रस्ताव रखना चाहता हूँ। बागान-मालिकोंकी ओरसे अधिकतम सीमा २५ प्रतिशत रखी गई है और श्री गांधीने रैयतकी ओरसे अधिकतम सीमा ४० प्रतिशतकी रखी है। दोनोंमें १५ प्रतिशतका अन्तर है। इन दोनोंके अन्तरके बीचसे कोई मार्ग निकालनेकी बात सोचनेके दौरान श्री गांधीकी दलीलें सुनते-सुनते मुझे एक हल सूझ गया है। श्री इविनने १२ अगस्तकी अपनी चर्चाके दौरान कहा था कि लगानको पुरानी दरपर उनके मुकर्ररी पट्टोंमें कोई लाभ नहीं रहा है और श्री गांधीने उसका यह उत्तर दिया था कि बागान-मालिकोंको बेतिया राजपर उसका भार डालना चाहिए, रैयतपर नहीं। उनको यही दलील सुनकर एक हल यह सूझा है कि समिति शरहबेशीमें ४० प्रतिशतके लगभग कटौतीकी सिफारिश करे, जिसका २५ प्रतिशत बागान-मालिक भरें और शेषका भार अगला कोई निपटारा होने तक बेतिया राज उठाये। बेतिया राजकी ओरसे दिये जानेवाले अंशके बारेमें उन्होंने एक अवधि निश्चित करनेकी बात कही और इसका एक उदाहरण दिया कि तावानके[१] मामलेम फैसला किया गया था कि बेतिया राजको एक निश्चित अवधि तक लगानकी बढ़ी हुई रकम छोड़नी चाहिए। श्री गांधीने कहा कि सिद्धान्तकी दृष्टिसे तो प्रस्ताव काफी अच्छा मालूम पड़ता है, परन्तु मैं सहमत होनेसे पहले इस बातका कोई पक्का सबूत चाहूँगा कि मुकरी पट्टोंमें कोई लाभ नहीं बचा। अध्यक्षने बतलाया कि श्री ह्विटीने उनको बतलाया था कि मुकर्ररी पट्टोंपर कुल मिलाकर नाममात्रका मुनाफा रह गया है। मुकर्ररी पट्टे दिये जानेके समय जो जमा तय हुई थी वह पूरे लगान या उससे कुछ ज्यादा ही तय की गई थी; और उसके बाद लगानमें नाममात्रकी ही वृद्धि हुई है। श्री गांधीने विचार प्रकट किया कि प्रतिवेदनमें यह लिखा जा सकता है कि एक बागान-मालिक द्वारा ऐसी गवाही प्रस्तुत की गई है कि नीलकी खेतीके बिना मुकर्ररी पट्टोंमें घाटा रहता है और यदि ‘कोर्ट ऑफ वार्डस्’ के सामने यह सिद्ध हो जाये कि आम हालत ऐसी ही है तो समिति सिफारिश करती है कि उसका एक भाग बेतिया राजको भी भरना चाहिए। उनके खयालसे समिति मौजूदा साध्यके आधारपर इस प्रकारका एक प्रस्ताव निश्चित तौरपर नहीं रख सकती, क्योंकि अभीतक जितनी भी जाँच-पड़ताल हुई है वह बागान-मालिकों और रैयतके सम्बन्धोंके बारेमें ही रही है, उसमें बेतिया राजकी स्थितिके बारेमें ध्यान दिया ही नहीं गया। अध्यक्षने प्रस्ताव रखा कि जितनी प्रतिशत मात्रापर सभी लोग सहमत हों उससे २५ प्रतिशत निकालकर जो भी शेष रहे वह सारीकी-सारी रकम राज ही भरे। राज इस राशिको कुछ निश्चित

  1. १. जुर्माना, प्रतिकार।